कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 11 जनवरी तक टली, कोर्ट ने कहा- किसानों को लेकर हम चिंतित
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आंदोलनरत किसानों से संबंधित और नए कृषि कानूनों से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुनवाई 11 जनवरी तक के लिए टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आज दाखिल एक और याचिका को सभी मामलों के साथ जोड़ दिया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो किसानों को लेकर चिंचित हैं और आशा करते हैं सरकार के साथ बातचीत में कोई हल निकले।
कृषि कानूनों की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई हैं, जिनमें कृषि कानूनों को चुनौती देने से लेकर किसानों को दिल्ली के हाईवे से हटाने तक की याचिकाएं शामिल हैं। बुधवार 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता एमएस शर्मा की तरफ से एक याचिका डाली गई थी, इसमें 1954 के संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है। इसी संशोधन के तहत कृषि उत्पाद बिक्री से जुड़ा विषय समवर्ती सूची में डाला गया था।
मामले की सुनवाई कर रही रही मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने किसान आंदोलन को लेकर अटार्टी जनरल से जवाब मांगा। जिसके जवाब में सॉलिसीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पूरे मामले में अब तक जवाब इसलिए दाखिल नहीं किया है क्योंकि बातचीत से हल की उम्मीद नज़र आ रही है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इतने दिनों में कोई तरक्की नहीं हुई है। फिर भी अगर 11 जनवरी को हमें बताया गया कि बातचीत सही दिशा में चल रही है, तो हम सुनवाई टाल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसानों को लेकर चिंतित हैं लेकिन बातचीत को प्रोत्साहित करते हैं। जिस पर केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि किसानों के साथ अब तक बातचीत सकारात्मक रही है और अगली सुनवाई 8 जनवरी को है उम्मीद है कुछ हल निकल आएगा।
नीचे वीडियो में देखिए सरकार के साथ 4 जनवरी को हुई वार्ता के बाद किसान संगठनों ने क्या कहा था
तीन कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी पर कानून है किसानों की मुख्य मांग
कई राज्यों के किसान हाल ही लागू किए गए तीन नए कृषि कानून, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा कानून को वापस लेने की मांग को लेकर 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं। 27 नवंबर से दिल्ली की कई सीमाओं पर किसानों ने डेरा डाल रखा है।
किसान संगठनों के बीच अब तक 7 दौर की वार्ता हो चुकी है, बातचीत में कुछ मुद्दों पर बात बनी है लेकिन किसानों की प्रमुख मांग नए कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर खरीद को कानून बनाने की मांग पर सहमति नहीं बन पाई। 41 किसान संगठनों और सरकार के बीच अगली वार्ता 8 जनवरी को दिल्ली के विज्ञान भवन में होनी है।
आंदोलनकारी किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है अगर जल्द बातचीत में हल नहीं निकला तो 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस ) को वो दिल्ली में हजारों ट्रैक्टर के साथ मार्च करेंगे। आंदोलनकारी किसान 7 जनवरी को दिल्ली की सीमाओं पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे जिसे उन्होंने 26 जनवरी का रिहर्सल बताया है।