GST : कृत्रिम गर्भाधन होगा महंगा, पशुओं के इलाज के लिए भी जेब ढीली करनी होगी

Update: 2017-07-01 16:31 GMT
खच्चरों पर लगेगा टैक्स।

स्वयं प्राजेक्ट

लखनऊ। जीएसटी एक जुलाई से पूरे देश में एक साथ लागू हो जाएगा। जीएसटी के प्रभाव से किसान और पशुपालक भी अछूते नहीं रहेंगे। जीएसटी से पशुपालकों को फायदा भी होगा और नुकसान भी। पशुपालाकों से जुड़े आम लोगों को ज्यादा नुकसान होगा। कच्चे दूध से बनने वाले उत्पाद जैसे पनीर, छाछ, दही, फ्लेवर्ड मिल्क, घी आदि पर जीएसटी लगने से इनके दाम और ज्यादा होंगे।

सरकार ने कच्चे दूध पर तो कोई टैक्स नहीं लगाया पर उससे बनने वाले उत्पाद जैसे आइसक्रीम पर 18 फीसदी तक टैक्स लगेगा। देश की कई बड़ी कंपनियां आइसक्रीम का कारोबार करती हैं। आइसक्रीम पर पहले 12 फीसदी ही टैक्स लगता था जबकि जीएसटी के बाद इसपर 18 फीसदी टैक्स के दायरे में आ जाएगा।

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उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देशभर में नंबर एक बना हुआ है। 2015-16 में यूपी 23.33 मिलियन टन उत्पादन के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले नंबर पर रहा। भूमिहीन किसानों के लिए सबसे अधिक मुनाफा और सबसे अच्‍छा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। दूध से ग्रामीण परिवारों की कुल आय का एक-तिहाई हिस्‍सा आता है। जबकि भूमिहीन श्रमिकों के मामलों में डेयरी का योगदान उनकी कुल आय का लगभग आधा है। जीएसटी से होने वाले नुकसान के बारे में बरेली जिले के अखां गाँव में रहने वाले डेयरी किसान गोला सिंह (55 वर्ष) बताते हैं, "जीएसटी लगने से हम किसानों को कोई फायदा नहीं है। दूध के उत्पाद मंहगे होंगे पर जो रेट मिल रहा है वही मिलेगा। अगर दूध के रेट बढ़ते तो हम लोगों को इससे फायदा भी होता।"

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दूध के बढ़ सकते हैं दाम

नेस्ले समेत कई बड़ी कंपनियां पंजाब और हरियाणा में अपने प्लांट लगाए हुए थे क्योंकि उनको सस्ता दूध मिल जाता था। कंपनियां अब उत्तर प्रदेश में भी प्लांट लगा सकती हैं, क्योंकि यूपी सबसे ज्यादा दूध उत्पादित करता है, और जब देश में एक जैसा टैक्स लगेगा तो जिस रेट पर वे वहां दूध खरीदते हैं वहीं रेट उनको यहां भी मिलेगा। इससे डेयरी किसानों को काफी लाभ होगा उनके दूध के रेट भी बढ़ेंगे।

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डेयरी में प्रयोग होने वाली मशीनें होंगी महंगी

डेयरी के काम में मशीनों का प्रयोग काफी बढ़ा है, लेकिन जीएसटी लगने से मशीनों का दाम बढ़ सकता है। डेयरी फार्म सेल्यूशन के मार्केटिंग हेड आशीष बताते हैं, "अभी से ही मार्केट ठंडा पड़ा हुआ है लोग सोच रहे हैं कि जीएसटी लगने के बाद मशीनें सस्ती हो जाएंगी। पर ऐसा नहीं है। पहले मशीनों पर केवल 5 प्रतिशत ही टैक्स लगता था लेकिन जीएसटी के बाद इनपर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा।

इस बारे में आशीष बताते हैं, "डेयरी में सबसे ज्यादा प्रयोग मिल्किंग मशीन का होता है, जिसकी शुरुआत 36 हजार से होती है। जीएसटी लगने से इसकी कीमत 40 हजार रुपए हो जाएगी। वहीं बल्क मिल्क कूलर की कीमत अभी एक लाख 60 हजार रुपए है जो बढ़कर एक लाख 90 हजार रुपए हो जाएगी। डेयरी में कुछ पशुपालक मिल्किंग पार्लर भी लगवाते हैं जिसकी कीमत अभी 6 लाख रुपए है जो बढ़कर 6 लाख 75 हजार रुपए हो जाएगी। जीएसटी लगने से डेयरी क्षेत्र में प्रयोग होने वाली मशीनों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।"

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कृत्रिम गर्भाधन होगा महंगा

नस्ल सुधार के लिए पशुपालक अपने पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान कराना थोड़ा महंगा पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ बीबीएस यादव ने बताया, कृत्रिम गर्भाधान के लिए जो लिविक्ड नाइट्रोजन आती है जिसमें सीमन को रखा जाता है, उसपर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा जो पहले सिर्फ 5 प्रतिशत था। जबकि इसको केवल कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रयोग किया जाता है इसका कोई दूसरा प्रयोग नहीं होता था।

ऐसे में कृत्रिम गर्भाधान महंगा हो सकता है। अभी लिविक्ड नाइट्रोजन की कीमत 16 रुपए लीटर है जो बढ़कर 18 रुपए लीटर हो जाएगी। कृत्रिम गर्भाधान करने में कई उपकरणों की भी जरूरत पड़ती है। उसमें भी कुछ बढ़ोत्तरी होगी। जो लोग प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कराते हैं उनको और भी मंहगा पड़ेगा।" एक कृत्रिम गर्भाधान करने में आधा लीटर लिविक्ड नाइट्रोजन की जरूरत होती है।

घोड़ों, गधों और खच्चर पर भी लगेगा जीएसटी

घोड़ों, गधों और खच्चर की खरीद फरोख्त एक बड़े व्यवसाय के रूपए में बनकर उभरा है। लेकिन अभी तक इस पर कोई टैक्स नहीं था। ब्रुक इंडिया के अनुसार अन्य पशुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन घोड़ों गधों और खच्चर पर अब 12 फीसद टैक्स लगेगा। इन पर जीएसटी लागू होने से देशभर में घोड़ों गधों और खच्चरों का डाटा भी तैयार होगा और उनका स्थायी तौर पर रिकॉर्ड भी बन सकेगा। इनका ज्यादातर यूपी से उत्तराखंड, नेपाल, पंजाब और हरियाणा भेजा जाता है।

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जीएसटी से पशुओं का इलाज होगा महंगा

सोनभद्र उपमुख्य पशुचिकित्सक डॉ प्रदीप कुमार ने बताया, "जीएसटी से पशुओं का इलाज महंगा हो जाएगा। जैसे अभी कोई पशुपालक पशु की छोटी सी बीमारी पर सो रुपए का खर्च करता है तो वह बढ़कर 150 रुपए के करीब हो जाएगा। सभी दवाओं पर न्यूनतम जीएसटी की दरें 18 प्रतिशत तक रह सकती हैं।"

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