‘अनुमान के तौर पर ऐसा जान पड़ता है कि जीएसटी के लागू होने की तारीख से पहली तिमाही में तत्काल एक लाख से अधिक नौकरियां पैदा होंगी तथा अतिरिक्त 50,000-60,000 नौकरियां जीएसटी से जुड़ी विशिष्ट गतिविधियों के लिए पैदा होंगी।’
लखनऊ। जीएसटी लागू होने की अंतिम घड़ियां आ चुकी हैं। इस समय हर कोई जानना चाहता है कि सरकार की इस बहुप्रतीक्षित योजना का उस पर क्या असर होगा। महिलाओं, छोटे कारोबारी और किसान के साथ युवा भी यह जानने की जुगत में हैं कि आखिर जीएसटी में सरकार के पास उनके लिए क्या खास है।
अर्थशास्त्री सहित कई लोगों का मानना है कि जीएसटी से रोजगार बाजार को एक बड़ी तेजी की आस है और उसे कराधान, लेखांकन और डेटा एनालिसिस जैसे स्पेशलाइज्ड फील्ड सहित अलग-अलग क्षेत्रों में तत्काल एक लाख रोजगार के मौकों की उम्मीद है। एक जुलाई से लागू होने जा रही जीएसटी व्यवस्था से औपचारिक रोजगार क्षेत्र को 10-13 फीसदी की वार्षिक वृद्धि हासिल करने में मदद मिलने की संभावना है। इससे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में पेशेवरों की मांग बढ़ सकती है।
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जानी-मानी सर्च कंपनी ग्लोबल हंट के प्रबंध निदेशक सुनील गोयल ने अपने एक लेख कहा, 'अनुमान के तौर पर ऐसा जान पड़ता है कि जीएसटी के लागू होने की तारीख से पहली तिमाही में तत्काल एक लाख से अधिक नौकरियां पैदा होंगी तथा अतिरिक्त 50,000-60,000 नौकरियां जीएसटी से जुड़ी विशिष्ट गतिविधियों के लिए पैदा होंगी।'
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लखनऊ स्थित शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एपी तिवारी भी बताते हैं, ‘ये वो लोग होंगे जो कंसल्टेंट्स के तौर पर काम करेंगे, यानी टैक्स कंसल्टेंट्स के तौर पर और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेंगे।’
वहीं जीएसटी से छोटे उद्योग जैसे खेती-किसानी, फल-फूल की खेती, पशु पालन, मछली पालन क्षेत्रों में भी रोजगार बढ़ने की संभावना है। इस बारे में एपी तिवारी कहते हैं, ‘ये वो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के क्षेत्र हैं जो असंगठित क्षेत्र में आते हैं, जीएसटी लागू होने के बाद एकीकरण के स्तर पर ये भी संगठित क्षेत्र में जाएंगे। इसी के साथ सरकार की स्टार्टअप, स्टैंडअप, मेकइन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी सारी योजनाओं भी एकीकृत होगा। इससे क्षेत्रीय स्तर में प्रोडक्शन बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।’
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राज्यों के बीच आर्थिक असमानता घटेगी और भ्रष्टाचार भी कम होगा
एपी तिवारी बताते हैं, अभी जो महाराष्ट्र से सामान आता है उसमें सीएसटी लगता है और उसका राजस्व, महाराष्ट्र को चला जाता था। यूपी में आते-आते टैक्स पर टैक्स के चलते वह वस्तु और महंगी हो जाती है। इस प्रकार उसका सेल और व्यापार कम जाता है फलस्वरूप सेल्स और ट्रेड टैक्स भी कम हो जाता। जीएसटी के बाद प्रोडक्ट पर टैक्स सिर्फ यूपी पर ही लगेगा यानी माल जहां बेचा जाएगा। तो इस प्रकार, राज्यों के बीच सामाजिक व आर्थिक असमानताएं भी घटेंगी।
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बढ़ेंगे कंप्यूटर और एकाउंटेट के रोजगार
एपी तिवारी बाजारों के एकीकरण को फायदेमंद बताते हैं। वह कहते हैं कि इससे जवाबदेही बढ़ेगी। साथ ही डिटिजलीकरण होने से पारदर्शिता भी बढ़ेगी। हम वैश्विक अर्थव्यवस्था से इंटीग्रेट कर रहे हैं लेकिन यहां पर राज्य स्तर पर काफी विविधता है जो जीएसटी से दूर हो सकती है। दरअसल जीएसटी पूरी तरह कम्प्यूटर आधारित है, इसके लिए जीएसटीएन नेटवर्क में रजिस्टर कराना होगा। यानी कम्प्यूटर और अकाउटेंट का काम बढ़ेगा। वह आगे कहते हैं कि सिर्फ वो ही व्यापारी इससे परेशान हैं जो अब तक लेखा-जोखा नहीं रखते थे। जीएसटीएन पर जो आंकड़ें हैं, उनके अनुसार 66 लाख के करदाताओं ने अपना पंजीकरण करा लिया है। अब जिन्होंने नहीं कराया है उन्हें ही परेशानी होगी।