ओडिशा के क्योंझर जिले में 91 रुपए बढ़ाई गई मनरेगा की मजदूरी, न्यूनतम मजदूरी दर के बराबर मिल रहा भुगतान

क्योंझर जिले में मनरेगा के ग्रामीण मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दर के बराबर मजदूरी का भुगतान किया जाना अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम है।

Update: 2020-06-11 06:45 GMT
ओडिशा के क्योंझर में मनरेगा श्रमिकों को 91 रुपए बढ़कर मिल रही मजदूरी। फोटो साभार : ट्विटर

कोरोना संकट के समय में ओडिशा का क्योंझर देश का पहला और एकमात्र ऐसा जिला बन गया है जहाँ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों को राज्य की तय न्यूनतम मजदूरी दर के अनुसार भुगतान किया जा रहा है।

क्योंझर जिले में मनरेगा मजदूरों को अब 207 रुपए के बजाए 298 रुपए मजदूरी मिल रही है। इनकी पहले की मजदूरी दर में 44 प्रतिशत का इजाफा किया गया है और अब 91 रुपए बढ़ाकर मनरेगा में काम कर रहे श्रमिकों को 298 रुपए मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है जो वर्तमान में ओडिशा में अकुशल मजदूरों के लिए तय न्यूनतम मजदूरी दर 298 रुपए के बराबर है। इस अतिरिक्त मजदूरी का वहन क्योंझर के जिला खनिज निधि से किया जा रहा है।  

देश के अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता लम्बे समय से न्यूनतम मजदूरी दर के अनुसार सभी मजदूरों को उनका मेहनताना दिए जाने की मांग करते आ रहे हैं, मगर कोरोना संकट के समय में क्योंझर जिले में मनरेगा की मजदूरी दर में बढ़ोत्तरी करने के फैसले को ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है।


क्योंझर के जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) के मैनेजिंग ट्रस्टी आशीष ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में बताया, "मनरेगा के इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिला खनिज फाउंडेशन की ओर से 95 करोड़ रुपए दिया गया है। इसका सीधा फायदा क्योंझर जिले के 3.78 लाख से ज्यादा मनरेगा मजदूरों को मिलेगा। ओडिशा के श्रम विभाग द्वारा तय न्यूनतम दैनिक मजदूरी दर 298 रुपये के अनुसार मनरेगा के सभी मजदूरों को भुगतान किया जाएगा।"

यह भी पढ़ें : मनरेगा: उत्तर प्रदेश में मजदूरों को क्या महीने में सिर्फ छह से आठ दिन ही काम मिल रहा है? 

मनरेगा (महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत देश के ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी मिलती है। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान गांव पहुंचे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए मनरेगा को खासा प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

ओडिशा के आदिवासी बहुल जिले में सामाजिक कार्यकर्ता धारित्री राउत 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "अच्छी बात यह है कि जिला प्रशासन की इस पहल से मनरेगा में काम की मांग बढ़ी है और मजदूरों को 15 दिनों की बजाए जल्दी ही भुगतान भी किया जा रहा है।"

धारित्री राउत ने बताया, "जिले में 100 दिन का रोजगार पूरा करने पर एक ग्रामीण परिवार को साल में 29,800 रुपए का भुगतान होगा, इससे ऐसे परिवार प्रति वर्ष कम से कम मनरेगा से इतना कमा सकते हैं। ऐसे में मनरेगा की मजदूरी दर में बढ़ोत्तरी से निश्चित रूप से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा।"

ओडिशा सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासी मजदूरों के लिए पुनर्वास के लिए मनरेगा को आधार बनाया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश में 17,000 करोड़ रुपए के बजट से विशेष आजीविका योजना शुरू की गयी है। इस योजना के जरिये प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में क्योंझर जिले में मनरेगा के ग्रामीण मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दर के बराबर मजदूरी का भुगतान किया जाना अपने आप में एक बड़ा कदम है।  

यह भी पढ़ें : 

काम पर लौट रहे मजदूर, मई माह में श्रमिकों की बाजार में मौजूदगी बढ़ने से सुधरे हालात : रिपोर्ट  

लखनऊ: काम की तलाश में मजदूर, लॉकडाउन में ही गांव के पास के कस्बों-शहरों की ओर लौटना शुरू  

Full View



Similar News