प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल करने के लिए बनाई कंपनी, बाप-बेटे की जोड़ी कर रही कमाल

Update: 2018-05-09 12:50 GMT
सडोक्पम गुनाकांता और सडोक्पम इतोंबी सिंह कंपनी खोलकर रिसाइकिल कर रहे प्लास्टिक कचरा।

प्लास्टिक कचरा, आज दुनिया में न सिर्फ लोगों के लिए, बल्कि पशुओं के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है। गाय और अन्य पशुओं इसे अपना आहार बनाकर मर रहे हैं, तो प्लास्टिक के निपटाने की कोई उचित व्यवस्था न होने के कारण यह एक बड़ी समस्या बन चुका है। मगर मणिपुर की राजधानी इंफाल में बाप-बेटे की जोड़ी प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल यानि पुन: उपयोग में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

मणिपुर की राजधानी इंफाल के रहने वाले सडोक्पम इतोंबी सिंह और सडोक्पम गुनाकांता ने प्लास्टिक के कचरे को रिसाइकिल करने के लिए एक कंपनी खोली है, जो लोगों के घरों से निकलने वाले प्लास्टिक को रिसाइकिल करने का काम कर रही है।

प्लास्टिक कचरे से खतरे पर नजर डालें तो एक अध्ययन के अनुसार देश की राजधानी नई दिल्ली से हर साल करीब 2.5 लाख टन प्लास्टिक कचरा निकलता है, जो सीवर, शौचालय और अन्य तरीकों से पानी में बहा दिया जाता है। वहीं पूरे देश में हर दिन लगभग 6 हजार टन प्लास्टिक कचरा रिसाइकिल के अभाव में सड़ता रहता है। यह प्लास्टिक कचरा दिन पर दिन विकट समस्या बन रहा है।

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कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रेजुएशन कर चुके सडोक्पम इतोंबी सिंह का मानना है कि प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है, जो हमारे प्राकृतिक माहौल को तेजी से बिगाड़ रहा है। पेड़-पौधे, पशु और मानव समाज पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। इसलिए वह अपने पिता के साथ प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल करने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि मणिपुर एक सुरक्षित और प्लास्टिक कचरे से मुक्त राज्य बन सके।

सडोक्पम इतोंबी ने इंफाल में ही साल 2007 में एसजे प्लास्टिक इंडस्ट्रीज नाम से एक कंपनी की शुरुआत की, जो आस-पास के प्लास्टिक के कूड़े को रिसाइकिल करने का काम करती है। इससे पहले इतोंबी के पिता गुनकांता प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा करते थे और उसे नई दिल्ली और गुवाहाटी के प्लास्टिक रिसाइकिलिंग प्लांट में भेजते थे।

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मणिपुर में ही 120 प्रकार के प्लास्टिक की पहचान की गई, जिसमें से 30 ऐसे प्लास्टिक निकले, जिनको मणिपुर में ही रिसाइकिल किया जा सकता था। इसके बाद उनके बेटे इतोंबी ने प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल करने के लिए खुद एक कंपनी खोली और ऐसे 30 प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल कर पाइप, टब समेत कई उत्पाद बनाने लगे, जबकि दूसरे प्लास्टिक कचरे को दिल्ली और गुवाहाटी में भेजा जाता है।

आज इस कंपनी में 35 लोग नियमित रूप से काम कर रहे हैं, जबकि 6 लोग प्रतिदिन मजदूरी करते हैं। मात्र 1.5 लाख रुपए की लागत से शुरू हुई इस कंपनी का आज सालाना टर्नओवर 1.2 करोड़ रुपए पहुंच गया है।

सडोक्पम गुनाकांता बताते हैं, “हमें प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल करने के प्रति सतर्क और जागरूक रहना होगा और हमें प्लास्टिक से वातावरण को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए। हमारी कंपनी में आज प्लास्टिक को रिसाइकिल का दोबारा उत्पाद बनाए जा रहे हैं।“

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