इन अनोखी फसलों को उगा कर सिक्किम के किसान कर रहे हैं आठ गुना ज़्यादा कमाई

Update: 2017-11-30 11:23 GMT
शॉटेन ग्रुप के सदस्य

लखनऊ। 2016 सिक्किम के लिए एक खास साल साबित हुआ। क्योंकि इस साल सिक्किम काे पूरी तरह से जैविक राज्य होने का गौरव प्राप्त हुआ। राज्य के किसान 100 फीसदी जैविक पदार्थों का उत्पादन कर रहे हैं। उनके उत्पादों में किसी तरह के रासायनिक कीटनाशक या आनुवांशिक बदलाव नहीं किया गया है। इसके कारण अजैविक उत्पादों के मुकाबले उनकी जैविक सब्जियां और फल छोटे हैं और महंगे भी, जिसने बाज़ार में एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है।

सिक्किम के दो भाईयों अभिनन्दन और अभिमन्यु ढाकल ने इस पर काम शुरू कर दिया था। उन्होंने कुछ ऐसी फसलों के बारे में लोगों को बताया जो अनोखी हैं और सिर्फ सिक्किम में ही उगाई जा सकती हैं। इसके बाद दोनों भाईयों ने मिलकर शॉटेन ग्रुप की शुरुआत की, जो किसानों की दो अलग फसलें याकॉन (ज़मीन का सेब) और शिटाकी मशरूम उगाने में मदद कर रही है।

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याकॉन की खेती

फसलों की लगभग 30 प्रजातियों पर रिसर्च करने के बाद, अभिमन्यु और अभिनन्दन ने याकॉन और शिटाकी मशरूम को उगाने का निर्णय लिया क्योंकि इन दोनों के स्वास्थ्य लाभ सबसे ज्यादा हैं। साथ ही इनकी यह भी खासियत है कि ये फसलें सिर्फ ऐसे क्षेत्र में ही उगाई जा सकती हैं जहां का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से कम रहता हो।

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याकॉन साउथ अफ्रीका का फल है। यह एक जड़ की तरह होता है जो औषधीय गुणों से भरपूर होती है जिसे चीनी के विकल्प के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें मीठे का स्वाद तो आता है लेकिन यह रक्त में मीठे की मात्रा को नहीं बढ़ाता। इसलिए यह डायबिटीज के मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

इसमें 80-90 प्रतिशत पानी होता है, साथ ही फाइबर भी अधिक मात्रा में होते हैं जिससे पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। सीरप के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला याकॉन बैड कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने में, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में, त्वचा को चमकदार बनाने में व वजन कम करने में मदद करता है। 2016 में 43 किसानों के साथ अनुबंध पर खेती करने की शुरुआत करने वाले शॉटेन ग्रुप में अब 190 किसान जुड़ चुके हैं।

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शिटाकी मशरूम

इस बारे में बात करते हुए अभिमन्यु बताते हैं, 'शुरुआत में यहां लोग हल्दी और अदरक की खेती करते थे, जो सिक्किम के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी की जाती है। लेकिन हमारी टीम का उद्देश्य ऐसी खेती पर ध्यान देना था जो सिर्फ हिमालय के क्षेत्र में ही हो सकती है। याकॉन और शिटाकी मशरूम दोनों सिर्फ ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों में ही पैदा हो सकते हैं, इसलिए हमने इन्हें उगाने के बारे में सोचा।'

अनुबंधी खेती मॉडल की सहायता से, शॉटेन समूह ने किसानों को अवित्तीय और तकनीकी मदद दी। साथ ही इस बात का भरोसा भी दिया की वे उनकी फसल खरीदेंगे। इससे किसानों को उत्पादन में आसानी हुई क्योंकि उन्हें भरोसा था कि उन्हें फसल की एक निश्चित राशि मिल जाएगी।

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शॉटेन स्टार्टअप की मानें तो अदरक और हल्दी की फसल के मुकाबले याकॉन की खेती करके 4 गुना ज़्यादा और शिटाकी मशरूम की खेती करके 8 गुना ज़्यादा कमाई की जा सकती है।

वेबसाइट बेटर इंडिया से बात करते हुए अभिनन्दन बताते हैं कि शिटाकी मशरूम तो उपभोक्ताओं के बीच काफी प्रसिद्ध था लेकिन याकॉन के बारे में लोगों को ज़्यादा नहीं पता था। इसलिए हमारे समूह के सामने याकॉन के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने की भी चुनौती थी। इसमें हमारी मदद अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वत विकास केंद्र (आईसीआईएमाअेडी) ने 2014 में हमारा नॉलेज पार्टनर बनकर की। इस साल शॉटेन समूह के 190 किसानों ने सिक्किम के सभी चार ज़िलों में 3000 किग्रा बीजों के साथ 30 एकड़ में खेती की है, और उम्मीद है कि लगभग 300 टन फसल का उत्पादन होगा।

अभिमन्यु कहते हैं, 'कृषि की तरफ लोगों को आकर्षित करने के लिए हमें किसानी को ज्यादा मुनाफा कमाने वाला बनाना होगा। हमें किसानों को सिखाना होगा, उन्हें नई खोजों के प्रति काम करने के लिए तैयार करना होगा। '

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