आदिवासी क्षेत्रों में खुलने वाले एकलव्य स्कूलों की ये होगी खासियत

Update: 2018-02-08 17:47 GMT
एकलव्य स्कूल कैसे होगें अलग।

भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2018 के बजट सत्र में शिक्षा को लेकर कई अहम फैसले सुनाए जिनमें से आदिवासी क्षेत्रों में ‘एकलव्य स्कूल’ खोलने की योजना भी शामिल हैं। एकलव्य के मॉडल स्कूल का आइडिया नया नहीं है, ऐसे स्कूल पहले संचालित हो रहे हैं, जिनको केंद्र सरकार विस्तार देना चाहती है।

ये नवोदय स्कूलों के तर्ज पर ही काम करेंगे। सरकार आदिवासी क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों को उनके ही परिवेश में रहकर अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करेगी।

एकलव्य मॉडल स्कूल की 5 ख़ास बातें इस प्रकार हैं

  1. एकलव्य स्कूलों की स्थापना आदिवासी बहुत ब्लॉकों में की जायेगी, जहां की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी (20 हजार से अधिक जनसंख्या) आदिवासी समुदाय की है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान के सिरोही ज़िले के पिण्डवाड़ा ब्लॉक में ऐसे स्कूल खोलने की योजना है।
  2. एकलव्य स्कूल आवासीय विद्यालय होंगे, जो नवोदय की तर्ज़ पर बनेंगे। नवोदय विद्यालयों में ग्रामीण और आदिवासी अंचल के प्रतिभाशाली बच्चों को प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद कक्षा 6 में प्रवेश दिया जाता है और ऐसे बच्चे 6 से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करते हैं।
  3. सरकार की मंशा है कि आदिवासी इलाक़ों से आने वाले बच्चों को उन्हीं के परिवेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। 12वीं तक की शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने की सरकार की तरफ से क्या योजना है, इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

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  1. आदिवासी अंचल के बहुत से विद्यालय अकेले शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। सरकारी स्कूलों में संसाधनों का अभाव है, ऐसे में इस तरह के विद्यालयों से आदिवासी अंचल में अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के प्रयासों को गति मिलेगी।
  2. इन विद्यालयों में आदिवासी अंचल की स्थानीय कला, संस्कृति, खेलों और कौशल विकास को बढ़ावा दिया जायेगा।

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