सिर्फ आठ घंटे ही काम करेंगे मजदूर, श्रम कानून को लेकर पीछे हटी योगी सरकार
योगी सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव करते हुए मजदूरों से आठ की बजाए 12 घंटे काम लिए जाने की अधिसूचना को वापस ले लिया है।
उत्तर प्रदेश में मजदूर 12 घंटे नहीं, बल्कि अब सिर्फ आठ घंटे ही काम करेंगे। योगी सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव करते हुए मजदूरों से आठ की बजाए 12 घंटे काम लिए जाने की अधिसूचना को वापस ले लिया है। इस संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
इससे पहले योगी सरकार ने आठ मई को श्रम कानूनों के तहत अधिसूचना जारी करते मजदूरों की काम की अवधि को आठ से बढ़ाकर 12 घंटे किये जाने का फैसला लिया था। सरकार की इस अधिसूचना के खिलाफ वर्कर्स फ्रंट की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी।
इसके बाद मुख्य न्यायधीश की खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी किया था और अगली सुनवाई 18 मई तय की थी। इससे पहले ही प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चन्द्र ने हाई कोर्ट को पत्र लिख कर यह जानकारी दी कि यह श्रमिकों के काम की अवधि 12 घंटे किये जाने की अधिसूचना निरस्त कर दी गयी है।
ऐसे में अब मजदूरों से एक दिन में अधिकतम आठ घंटे और एक हफ्ते में 48 काम कराने का पुराना नियम ही लागू रहेगा। इससे पहले सरकार ने पंजीकृत कारखानों में युवा मजदूरों से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे और एक हफ्ते में अधिकतम 72 घंटे से ज्यादा काम न लिए जाने की अधिसूचना जारी की थी।
UP Government has withdrawn its decision of increasing working hours to 12 hours. It will remain 8 hours as it was previously.
— ANI UP (@ANINewsUP) May 15, 2020
उद्योग जगत को रफ़्तार देने के लिए कई राज्यों में श्रम कानूनों में बदलाव किये गए हैं। इसमें मजदूरों के काम की अवधि 12 घंटे किये जाने पर भी स्वीकृति राज्यों की ओर से की गयी है। राज्य सरकारों का मानना है कि इस पहल से कोरोना संकट के बीच प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार मिल सकेगा। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा, ओडिशा समेत कई राज्यों ने श्रम कानूनों में बदलाव किये जाने का समर्थन किया है।
इसके बाद बिहार की नीतीश सरकार ने भी श्रम कानून में बदलाव करते हुए श्रमिकों की काम की अवधि को आठ से 12 घंटे बढ़ाने का फैसला लिया है। बिहार सरकार ने तीन महीने तक श्रम कानून में यह बदलाव करने पर जोर दिया है। सरकार का कहना है कि इससे मजदूरों को आर्थिक फायदा पहुंचेगा।
यह भी पढ़ें : श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ 20 मई को देशव्यापी प्रदर्शन की तैयारी, BMS ने अपनी पार्टी की सरकारों के खिलाफ उठाए कदम
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यों की ओर से श्रम कानूनों में बदलाव किये जाने के फैसले की निंदा की है और अपने राज्य में किसी भी तरह से श्रम कानूनों में संशोधन करने से इनकार किया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "कुछ भाजपा शासित राज्यों ने श्रम कानूनों को हटाने या फिर उनमें संशोधन करने का फैसला लिया है। इन राज्यों में मजदूरों को अधिक काम करना होगा और उनकी मजदूरी कम मिलेगी, साथ ही रोजगार भी सुरक्षित नहीं रहेगा। मगर हम इसका समर्थन नहीं करते और इस तरह का कोई भी कदम नहीं उठाएंगे।"
इस सबके बीच राज्यों की ओर से श्रम कानूनों में संशोधन किये जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुका है। झारखण्ड के सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार यादव ने अपनी दाखिल की गई जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कई राज्य सरकारें श्रम कानूनों में बदलाव कर उद्योग जगत को बढ़ावा दे रही हैं, ऐसे में मजदूरों का शोषण बढ़ेगा। सुप्रीम कोर्ट राज्यों की ओर बनाये गए इन अध्यादेशों को रद्द करे।
यह भी पढ़ें :
उत्तर प्रदेश : MSME दे रहा अपना रोजगार शुरू करने के लिए लोन, ऐसे करें आवेदन
यूपी में हर दिन 50 लाख मजदूरों को मनरेगा में रोजगार देने की तैयारी, MSME क्षेत्र के लिए कल से ऑनलाइन ऋण मेला शुरू