अब चीनी मिल से निकलने वाले 'कचरे' से लहलहाएगी फसल

यूपी सरकार ने अनूपशहर, कायमगंज और घोसी की आसवनी इकाइयों को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। इन इकाइयों में बायो कम्पोस्ट आधारित जीरो लिक्विड डिस्चार्ज संयंत्र की स्थापना होगी। प्रेसमड में मिश्रित कर बायो कम्पोस्ट बनाया जाएगा जो किसानों को सस्ते दाम पर मिलेगा।

Update: 2018-06-06 11:16 GMT

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने अनूपशहर (बुलंदशहर), सहकारी चीनी मिल कायमगंज (फर्रुखाबाद) और घोसी (मऊ) की आसवनी इकाइयों को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। इन इकाइयों में बायो कम्पोस्ट आधारित जीरो लिक्विड डिस्चार्ज संयंत्र की स्थापना होगी। एडवांस प्रोसेस टेक्नालाजी का उपयोग करके स्पेंटवाश की मात्रा 12 से 15 किलोलीटर प्रति आरएस से घटाकर नौ किलोलीटर किया जाएगा। इससे कच्चे स्पेंटवाश की मात्रा कम हो जाएगी जिसे प्रेसमड में मिश्रित कर बायो कम्पोस्ट बनाया जाएगा। यह बायो कम्पोस्ट किसानों की खेती के लिए हितकारी होगा। मिल से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों से बनने वाली खाद किसानों को सस्ते दाम पर मिलेगा। किसानों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।

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चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेश राणा ने बताया, सरकार ने इन तीन इकाइयों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज संयत्र स्थापित कर फिर से शुरू करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि अनूपशहर, कायमगंज व घोसी की इकाइयों में जीरो लिक्विड संयंत्र स्थापित करने में 79 करोड़ 29 लाख 52 हजार रुपये का खर्च आएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के अनुरूप यह कार्य होगा। इन तीनों इकाइयों में डिस्चार्ज संयंत्र न होने से वर्ष 2017 से ही उत्पादन कार्य ठप हो गया है।



अनूप शहर के बिचौला निवासी किसान रामेश्वर शर्मा (52वर्ष) का कहना है, " अनूपशहर की चीनी मिल होने से क्षेत्र के किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। हम लोग अपना गन्ना लेकर बुदंशहर जाते थे, जिससे ज्यादा खर्च आता था। अब अनूपशहर की मिल शुरू होने से हम लोगों को काफी फायदा होगा। जीरो लिक्विड डिस्जार्च संयंत्र लगने से मिल से नकलने वाले प्रदूषण से आस-पास के लोगों को परेशानी नहीं होगी। बायो कम्पोस्ट से फसल भी अच्छी होगी।"

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बरेली के बल्लिया कटका रमन निवासी किसान राजेश सिंह (56वर्ष) का कहना है," सरकार का यह फैसला काफी सही है। अभी तक फैक्ट्री से निकलने वाले प्रदूषण से आस-पास के किसानों की खेती खराब हो जाती थी। अब मिल में ही बायो कम्पोस्ट बनेगा जिसे किसानों को दिया जाएगा यह तो अच्छी बात है। जैविक तरीके से खेती करने वालों के लिए यह काफी फायदेमंद होगा।"

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष और फर्रुखाबाद जिले के कीरतपुर निवासी अशोक कटियार कहते हैं, " सकार का निर्णय स्वागत योग्य है। यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था। कचरे से जो खाद बनती है वो जैविक होती है, यह लाभकारी है। इससे कृषि उपज बढ़ेगी। केमिकल वाली खादों के प्रयोग से मिट्टी का उर्वरक क्षमता खत्म हो जाती है। उत्पादन पर भी असर पड़ता है।"

वहीं फर्रुखाबाद के चांदपुर निवासी शरद कटियार (31वर्ष) बताते हैं, "चीनी मिल के पास सालों से बदबू आती है। खुले में गंदगी बहती है। सरकार के निर्णय से सहमत हूं । बदबू और बीमारियां नहीं फैलेंगी। हानिकारक पदार्थों से बनने वाली खाद किसानों को सस्ती मिल सकेगी। इससे प्रॉफिट ही होगा। कभी-कभी डीएपी नही मिलती है, तो दिक्कत नही होगी।"

फर्रुखाबाद के ही रहने वाले मगन बताते हैं, "चीनी मिल की गंदगी खुले में और नालों में जाती है। यहां से किसी न किसी नदी या नहर में ये मिलता है। जब इस पानी का प्रयोग मनुष्य या जीव-जंतु करते हैं तो नुकसान ही होता है, शायद अब इससे राहत मिलेगी। जब मिल में ही बायो कम्पोस्ट बनेगी तो आस-पास के किसानों को सस्ते दर ही खाद मिल सकेगी। "

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शीरा निर्माण पर नियंत्रण को नियमावली में संशोधन

शीरा निर्माण पर नियंत्रण को नियमावली में संशोधन प्रदेश सरकार ने शीरा निर्माण पर और नियंत्रण लगाया है। इसके लिए कैबिनेट ने नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। संशोधन के बाद शीरे की संग्रहण सीमा 50 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया गया है। तय किया गया है कि शीरे का परिवहन अब जीपीएस युक्त लारियों से ही किया जाए। सरकार ने शीरे के भंडारण, बिक्री व संचरण में पारदर्शिता लाने के लिए आधुनिक तकनीक का समावेश करते हुए नियमावली में संशोधन किया है। इसके तहत अब चीनी मिलों में उत्पादित शीरे का सभी ब्यौरा, नमूनों के परीक्षण परिणाम या किसी तरह की शिकायत को आबकारी विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने का प्रस्ताव है। नई व्यवस्था में आवंटित शीरे की उठान 45 दिनों में न होने पर प्रतिदिन पांच हजार रुपये के दंड का भी प्रावधान किया गया है।

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