मध्य प्रदेश में किसानों का एक नया आंदोलन, समर्थन में 170 किमी की साष्टांग दंडवत यात्रा कर पहुंचे किसान

Update: 2018-01-22 10:38 GMT
भोपाल के भेल दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल। फाइल फोटो

भोपाल। ठीक छह माह पहले किसानों के उग्र मंदसौर आंदोलन के बाद एक बार फिर किसानों ने सरकार के खिलाफ एक नया आंदोलन छेड़ दिया है। इस बार का देशव्यापी मुद्दा है।

दूध देना बंद कर चुकी गायों को छुट्टा (आवारा) छोड़ने वाले पशुमालिकों पर आपराधिक मामला दर्ज करने व हर गांव में एक गौशाला शुरू करने की मांग लेकर किसानों ने भोपाल के भेल दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी हैं। इस आंदोलन की शुरूआत 17 जनवरी से हुई थी, इस आंदोलन के समर्थन में मध्य प्रदेश के कोने कोने से किसान आए हैं।

इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए कई किसानों ने साष्टांग दंडवत यात्रा की, जिसमें वे रायसेन जिले के भौरा गांव से भोपाल के भेल दशहरा मैदान तक 170 किलोमीटर तक साष्टांग दंडवत यात्रा कर 16 दिन में पहुंचे।

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आंदोलनरत किसानों के नेता सुनील दीक्षित कहा, दूध देना बंद कर चुकी गायों को आवारा छोड़ने वाले पशुमालिकों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने सहित अपनी अन्य अहम मांगों के समर्थन में हम यहां अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं। इसमें हर गांव में गौशाला शुरू करने की भी मांग शामिल है।

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उन्होंने आगे कहा कि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी मिलना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को भी आरक्षण सुविधा दी जाए, ताकि मजदूर किसानों और छोटे व गरीब किसानों को इसका फायदा मिल सके।

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दीक्षित ने दावा किया कि प्रदेश के सभी इलाकों से आए किसान इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी आंदोलनकारी किसानों का समर्थन किया है।

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मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आंदोलनकारी किसानों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को किसानों की 33 सूत्रीय मांगों पर संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा, प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादे खोखले निकले हैं। किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम भी हासिल नहीं हो पा रहा है। भाजपा सरकार केवल यात्राओं में ही सरकारी धन का दुरूपयोग कर रही है।

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मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार पहले ही किसानों के लिए कई योजनाएं लागू कर चुकी है। इसमें से आंदोलनकारी किसानों की कई मांगें भी शामिल हैं, किसानों की सभी उचित मांगों पर विचार किया जा रहा है।

(भाषा)

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