टाटा कंपनी को शिखर तक पहुंचाने वाले रतन टाटा का आज है जन्मदिन, जानें उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें 

Update: 2017-12-28 13:38 GMT
साभार: इंटरनेट 

टाटा एक ऐसी कंपनी है जो नमक से बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स तक बनाती है, उसी टाटा कंपनी ग्रुप्स के कर्ता-धर्ता रतन टाटा का आज जन्म दिन है। आज हम बात करेंगे उस शख़्स की जिसे चार बार प्यार हुआ लेकिन शादी नही हुई। एक ऐसे शख़्स की जिसका टाटा परिवार के साथ खून का रिश्ता नहीं है, बल्कि उन्हें गोद लिया गया था। एक ऐसे शख़्स की जिसने अपने राज़ में टाटा को शिखर पर पहुंचा दिया। हम बात कर रहे है रतन टाटा की।

टाटा ग्रुप के अंडर 100 कंपनी आती हैं, टाटा की चाय से लेकर 5 स्टार होटल तक, सूई से लेकर स्टील तक, लखटकिया नैनों कार से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मिलते हैं। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को भारत के सूरत शहर में पिता नवल (रतनजी टाटा द्वारा गोद लिया हुआ बेटा) और माता सोनू के घर हुआ था।

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जब रतन टाटा 10 साल के थे तो इनके माता-पिता अलग हो गए थे। तब जमशेदजी के बेटे रतनजी टाटा की पत्नी नवाजबाई (रतन टाटा की दादी) ने इन्हें गोद ले लिया था और पालन-पोषण किया। रतन टाटा ने अपनी शुरूआती पढ़ाई कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल (मुंबई) और बिशप कॉटन स्कूल (शिमला) से पूरी की। फिर वास्तुकला में बीएस की पढ़ाई पूरी करने के लिए सन् 1962 में कॉर्नवेल यूनिवर्सिटी चले गए, फिर 1975 में हार्वर्ड बिज़नस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम की पढ़ाई पूरी की।

रतन टाटा को पालतू जानवरों से प्यार है दूसरा उन्हें प्लेन उड़ाना पसंद है। उनके पास इसका लाइसेंस भी है। रतन टाटा का कर्मचारियों से प्यार काब़िल-ए-तारीफ़ है। टाटा में नौकरी करना सरकारी नौकरी से कम नहीं है। रतन टाटा ने नए स्टार्टअप में भी इंवेस्ट किया है और करते रहते हैं।

रतन टाटा ने आईबीएम की नौकरी ठुकराकर टाटा ग्रुप के साथ अपने कैरियर की शुरूआत 1961 में एक कर्मचारी के तौर पर की थी। लेकिन 1991 आते-आते वो टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बन गए। 2012 में वह रिटायर हुए। रतन टाटा ने अपने 21 साल के राज में कंपनी को शिखर पर पहुंचा दिया। कंपनी की वैल्यू 50 गुना बढ़ा दी। वो फैसले लेते गए और उन्हें सही साबित करते गए।

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रतन टाटा को 2000 में पद्मभूषण (भारत का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान) और 2008 में पद्मविभूषण (भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान) से नवाज़ा गया।साल 2008 में 26/11 के दिन आतंकवादियो ने मुंबई के ताज होटल पर हमला किया था। इस होटल में जितने भी लोग घायल हुए थे उन सबका इलाज टाटा ने ही कराया था।

होटल के आस-पास ठेला लगाने वाले जिन लोगो का नुकसान हुआ था उन सबकी मदद टाटा ने की। होटल जितने दिन तक बंद रहा, कर्मचारियों को उतने दिन की पूरी सैलरी दी गई थी।आपको बताते चलें, कि मुंबई के ताज होटल का निर्माण टाटा कंपनी बनाने वाले जमशेदजी टाटा ने करवाया था। यह होटल 1903 में 4 करोड़ 21 लाख रूपए में बनकर तैयार हुआ था।

रतन टाटा को चार बार प्यार हुआ लेकिन शादी नहीं हुई। टाटा ने बताया कि लेकिन दूर की सोचते हुए उन्हें लगता है कि अविवाहित रहना उनके लिए ठीक साबित हुआ, क्योंकि अगर उन्होंने शादी कर ली होती तो स्थिति काफी जटिल होती।

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