सही पोषण बनाएगी आपकी लाडली को तंदुरुस्त

Update: 2018-02-28 15:27 GMT
किशोरियों को दें सही पोषण।

किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक व हार्मोनल विकास बहुत तेजी से होता है । इस अवस्था में किशोर अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति बहुत ही संवेदनशील होते हैं। यह एक ऐसी अवस्था है जब किशोरों का व्यवहार एक महत्वपूर्ण आकार लेता है, जिसका प्रभाव भविष्य में उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।

clinical anthropometric bio-chemical factsheet (CAB) 2014 के अनुसार, किशोरियों में सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या खून की कमी है, उत्तर प्रदेश में लगभग 92.3 % किशोरियां खून की कमी से ग्रस्त हैं।

डॉ एस०पी० जैश्वार, स्त्रीरोग विशेषग्य, क्वीन मेरी अस्पताल लखनऊ, बताती हैं, "11 से 18 वर्ष की उम्र, किशोरावस्था कहलाती हैं। इस उम्र में, शरीर में तेजी से परिवर्तन होते हैं और शरीर का विकास होता है(माहवारी की शुरुआत, हार्मोनल परिवर्तन इत्यादि) और इसी वजह से, पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता भी इसी उम्र में अधिक होती है। खून की कमी, कम आयु में विवाह व बार बार गर्भधारण करने से युवा महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जब खून की कमी से ग्रस्त महिला एक बच्चे को जन्म देती है तो ऐसे बच्चे का कुपोषित होना निश्चित है। इसके लिए आवश्यक है कि किशोरावस्था में ही खून की कमी को दूर किया जाये ताकि भविष्य में वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके।

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किशोरावस्था में कुपोषण के कारण

  • अशिक्षा
  • ·गंदगी
  • जानकारी का अभाव
  • कम उम्र में शादी
  • जन्म के समय वजन कम होना

किशोरावस्था में कुपोषण से बचाव

डॉ एसपी जैश्वार बताती हैं कि किशोरियों में मासिक स्त्राव में रक्त हानि हो जाती है, जिसके कारण उनमे खून की कमी होने लगती है। इसलिए किशोरावस्था के दौरान एनीमिया (खून की कमी) एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें आयरन फोलिक, कैल्शियम और पोष्टिक आहार लेना चाहिए, जिसमे दालें, हरी सब्जिया, गाज़र, गोभी, दूध, दही, तथा मौसमी फल आदि शामिल है।

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इसी उद्देश्य के साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार वितरण के तृतीय दिवस के लिए निर्धारित तिथि 25 को लाडली दिवस के रूप में आयोजित किये जाने के निर्देश दिए हैं। इस दिन आई०सी०डी०एस०(समेकित बाल विकास सेवाएं) के अंतर्गत प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जन सहयोग से मनाया जाता है जहाँ 11 से 18 वर्ष की आयु की किशोरी बालिकाओं को माह में एक बार आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बुलाकर निम्न बिन्दुओं पर जानकारी देना होता है।

लाडली दिवस के दौरान निम्न मुद्दों पर चर्चा की गई :-

  • शारीरिक प्रजनन और स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी
  • पोषण सम्बन्धी जानकारी
  • व्यक्तिगत स्वछता
  • आयरन की गोली का महत्व और कुपोषण सम्बन्धी जानकारी |

विकास खंड चिनहट के मल्हौर सेक्टर की मुख्य सेविका धीरज ने बताया कि किशोरियों को उनके शरीर के लिए बढ़ती मांग के अनुसार सही पोषण अत्यंत आवश्यक है। इस अवस्था में अधिक पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। कैल्शियम व आयरनयुक्त आहार लेना आवश्यक है। खान पान की आदतें, पोषक तत्वों की आवश्यकता, उनकी प्राप्ति एवं संतुलित आहार के बारे में जानकारी देना ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा हो।

इसी क्रम में 26 फरवरी 2018 को लखनऊ के मल्हौर सेक्टर के 35 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर लाडली दिवस का आयोजन किया गया जिसमे लाडली दिवस पर 11 से 18 वर्ष की किशोरियों को माह में एक बार आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बुलाया जाता है। धीरज ने बताया कि इस आयु में सही जानकारी देना एवं परामर्श दिया जाना बहुत आवश्यक है। सही जानकारी न मिल पाने के कारण किशोरावस्था में विभिन्न प्रकार के शारीरिक, प्रजनन एवं स्वास्थय सबंधी समस्याएं आ जाती हैं। ऐसी स्थिति में, किशोरियों को उनके शारीरिक बदलाव, स्वास्थय एवं प्रजनन के बारे में सही जानकारी एवं परामर्श दिया जाना अत्यंत आवश्यक है।

धीरज बताती हैं कि आंगनवाड़ी केन्द्रों पर लाडली दिवस के दौरान किशोरियों को और वहां पर उपस्थित सभी माताओं को पोषण सम्बंधित जानकारी दी गई तथा बताया गया कि भोजन में पोषक तत्वों की कमी से किशोरी कुपोषण तथा एनीमिया का शिकार हो जाती है। अतः पोषक तत्व युक्त भोजन लेने हेतु सलाह दी गई तथा खून की कमी होने पर आयरन फोलिक एसिड टेबलेट (आयरन की नीली गोलियां) लेने की जानकारी भी दी गई, जिसका सेवन उन्हें सप्ताह में दो बार करना है इसके साथ ही साथ उन्हें किशोरियों को स्वछता और साफ़ सफाई के बारे में जानकारी दी। अगर वे महावारी के दौरान साफ़ सफाई का धयान रखती है तो वह कई प्रकार की समस्याओं और होने वाले संक्रमण से बच सकती है। धीरज ने किशोरियों को कपडे की जगह सेनेटरी नैपकिन के उपयोग के बारे में बताया गया।

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