ऑफिस में महिलाओं के लिए शौचालय न होना भी कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न है

Update: 2018-02-07 14:15 GMT
ऑफिसों में होने वाली महिलाओं के प्रति बढ़ रहा उत्पीड़न।

अक्सर हमारे सामने ऑफिस या संस्थाओं में महिलाओं के साथ हुई यौन हिंसा की घटनाएं सामने आती हैं लेकिन हम में से बहुत कम लोगों को ये जानकारी है कि किसी भी आॅफिस या संस्था में अगर शौचालय नहीं है तो ये भी कार्यक्षेत्र के अंदर होने वाली यौन हिंसा के तहत आता है।

दिल्ली में हुई एक कार्यशाला के दौरान पार्टनर फॉर लॉ एंड डेवलपमेंट की ट्रेनर रचना ने बताया कि हम में से कम महिलाओं को ये बात पता होगी लेकिन किसी भी संस्था में जहां महिलाएं काम करती हैं उनके लिए शौचालय की अलग व्यवस्था होनी चाहिए।

एक महिला ने अपने अनुभव बताते हुए कहा मेरे आॅफिस में जहां महिलाओं का टायलेट है, वहां दो पुरुषों की डेस्क थी और हमारे लिए उनके बीच से गुजर कर जाना शर्मनाक होता था क्योंकि कई बार उन्हें ये बातें करते हुए भी सुना गया कि यौन सी महिला कितनी देर वॉशरुम में रहती है और अगर देर तक रहती है तो जरूर इसके पीरियड्स चल रहे होगें। महिलाओं ने इसकी शिकायत कमेटी में की उसके बाद इसपर कारर्वाई की गई।

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कार्यस्थलों में अक्सर महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं सामने आती हैं। इन बढ़ रही हिंसाओं के चलते वर्ष 2013 में यौन उत्पीड़न अधिनियम भी बनाया गया। इसके तहत जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, वहां पर एक समिति का गठन किया जाना था जिसमें महिलाएं अपने साथ हुई किसी भी तरह की हिंसा की शिकायत कर सकती हैं। लेकिन ज्यादातर संस्थाओं ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट बताती है कि 2014-2015 के बीच कार्य स्थल में होने वाली यौन हिंसा से जुड़े मामलों में दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है। यौन हिंसा की शिकायतों की संख्या में वृद्धि के बावजूद यह भी देखने में आया है कि ज्यादातर मामलों में जांच ठीक से नहीं होती।

महिला मुद्दों पर काम करने वाली ताहिरा हसन बताती हैं, “ ऐसा होता है कि लोग आफिस में होने वाली यौन हिंसा को सिर्फ महिलाओं को मुद्दा समझते हैं यही कारण हैं कि इस पर गंभीरता नहीं बन पा रही। हमें इसे महिला व पुरुष दोनों का मुद्दा समझना चाहिए। ज्यादातर संस्थाओं में जब महिलाओं के साथ ये घटनाएं होती हैं तो इससे उनके काम पर भी असर पड़ता है जिससे पूरी संस्था का नुकसान होता है।”

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