रवि बने किसानों के लिए मिसाल, मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़ शुरू की बागवानी

Update: 2016-03-15 05:30 GMT
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मैनपुरी। एमबीए करने के बाद चार मल्टीनेशनल कंपनियों में 4 साल नौकरी करने के बाद जब रवि गाँव में फूलों की खेती करने लौटे तो गाँव वालों के साथ ही घरवालों ने भी विरोध किया। घरवालों ने कहा चार दिन गाँव में रहोगे पता चल जाएगा। बावजूद इसके रवि ने फूलों की खेती की और आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

मैनपुरी ज़िले के बेवर के गाँव पद्मपुर छिबकरिया के रहने वाले रविपाल छह महीने पहले तक नोएडा की एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करते थे। वहीं रवि अपने गाँव में आकर गेंदे की खेती करने लगे हैं। दो बीघा से खेती शुरू करने वाले रवि ने इस बार एक एकड़ में फूलों की खेती कर रहे हैं।

नौकरी छोड़कर गाँव वापस आने के बारे में रवि बताते हैं, "हमारे गाँव में नीलगाय का बहुत आतंक है, हर साल नीलगाय हमारे सैकड़ों बीघे खेत बर्बाद कर देती हैं। मुझे पता चला कि गेंदे की फसल को नीलगाय और दूसरे जानवर खराब नहीं करते हैं। बस तभी से घर आ गया और दो बीघे खेत में गेंदे के पौधे लगा दिए। इसकी सबसे अच्छी खासियत है कि ढाई-तीन महीने में इसकी फसल तैयार हो जाती है।"

मैनपुरी ज़िले में ये पहला उदाहरण है, जब कोई एमबीए जैसी डिग्री वाला किसान हो। साल 2011 में एमबीए करने के बाद रविपाल ने एलएनटी और कोटक महिन्द्रा जैसी कंपनियों में नौकरी की है। रवि इस बारे में कहते हैं, "मुझे इन नौकरियों में इतना अच्छा नहीं लगा, जितना किसान बनकर। अब मुझसे मिलने ज़िले के किसानों के साथ-साथ बाहर के किसान भी आते हैं।"

रवि ने इसबार थाइलैंड से गेंदे के बीज मंगाकर नर्सरी लगाई है। रवि कहते हैं, "पिछली बार थाईलैंड से गेंदे के कुछ बीज मंगाए थे, अपने यहां के गेंदे तीन-चार महीने तक फूल देते हैं, जबकि थाईलैंड के गेंदे के पौधे बारह महीने में फूल देते हैं। थाईलैंड से मंगाए गेंदों को बुके में भी लगा सकते हैं।"

रवि दूसरे किसानों के लिए बने प्रेरणा

रवि के खेतों से फूल आगरा, कानपुर और दिल्ली की फूल मंडी में जाते हैं। रवि के गाँव आने से दूसरे किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है। इसी महीने दस मार्च को जिलाधिकारी ने रवि को सम्मानित भी किया। अब उनसे सैकड़ों किसान जुड़ गए हैं।

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