गाँव की महिलाओं ने छेड़ी खुले में शौच के खि़लाफ़ लड़ाई
गाँव में रहने वाली ये महिलाएं हर दिन गाँव में घूम-घूम कर लोगों को खुले में शौच करने से रोकती हैं।
लखीमपुर-खीरी। बगहा गाँव में रात के अंधेरे में भी आप कुछ महिलाओं को झुंड में गश्त लगाते हुए देख सकते हैं। इन महिलाओं को अंधेरे का डर नहीं, बल्कि उनके आँखों में एक सपना होता है, अपने गाँव को खुले में शौच से मुक्त करने का।
लखीमपुर के कुम्भी गोला ब्लॉक के बगहा गाँव में रहने वाली ये महिलाएं हर दिन गाँव में घूम-घूम कर लोगों को खुले में शौच करने से रोकती हैं। इसके लिए बनी महिलाओं की 'निगरानी समिति' में कुल 20 सदस्य हैं, जिसमें 12 महिलाएं और 8 पुरुष हैं। लोगों को शौचालय के इस्तेमाल के बारे में जागरूक के साथ ही अगर कोई खुले में शौच करते हुए दिखता है तो महिलाएं उसे ऐसा करने से रोकती हैं।
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निगरानी समिति की सदस्य हेमलता ने बताया, "एक बार रात में टहलते हुए हमारी टीम ने एक आदमी को खेतों में शौच करते हुए देखा। हमे देखते ही वो भागने लगा, मगर मैं उसका पीछा करते हुए उसके घर पहुंच गई, घर पहुंचते ही उसने खेत में शौच करने की बात को मानने से इंकार कर दिया। जब मैंने उसे पुलिस को खबर करने की धमकी दी तब कहीं जाकर उसने ये बात मानी और दोबारा खेतों में शौच के लिए न जाने की बात कही।''
निगरानी समिति की महिलाएं रात में पाली बनाकर खेतों में नजर बनाए रखती हैं और और जब एक महिला सो जाती है तो दूसरी महिला जागकर पहरा देती है।
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निगरानी समिति के सदस्य आशुतोष बताते हें, ''समिति की महिलाएं न सिर्फ अपने गाँव में बल्कि दूसरे गाँव में भी जाकर लोगों को खुले में शौच करने से मना करती हैं। लोगों को शौच के बाद हाथ धुलने के तरीके और सही से हाथ न धुलने पर होने वाले बीमारियों के बारे में भी बताया जाता है।"
इन महिलाओं ने अपने सभी सदस्यों के द्वारा किये जाने वाले कामों को देखने के लिए एक रजिस्टर भी बना रखा है, जिसमें वो अपने सदस्यों की उपस्थिति दर्ज करती हैँ।
यह पूछने पर कि उन्हें इस काम के पैसे नहीं मिलते फिर भी वो इस काम को क्यों करती हैं? इसके जवाब में निगरानी समिति सदस्य सुभद्रा देवी ने कहा, ''पैसे नहीं मिलते हैं, लेकिन हमारे घर के आस-पास सफाई रहती है और सफाई के कारण लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। यह गाँव के लिए बहुत जरूरी भी है।''