बच्चों ने खाई साफ-सफाई रखने की शपथ

गाँव में जापानी बुखार जैसी बीमारियों के लिए हमें किट दी गई है, जिससे हम एक घर से दूसरे घर तक जाकर लोगों को जागरूक करते हैं।

Update: 2018-10-01 09:18 GMT

लखनऊ। शहर ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई सरकारी विद्यालयों के अध्यापक अब अपने बच्चों को सफाई के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इसके लिए अध्यापकों को हेल्थ नोडल टीचर बनाया गया है।

गोरखपुर के विद्यालयों में अध्यापकों को हेल्थ नोडल टीचर बनाया गया है, जो कि विद्यालय में बच्चों को साफ-सफाई के गुण तो सिखाते ही हैं, साथ-साथ उन्हें बीमारी से दूर रहने की भी शिक्षा देते हैं। यह सिर्फ स्कूलों तक ही नहीं सीमित है, बल्कि गाँव-गाँव जाकर लोगों को भी जागरूक करते हैं कि कैसे खुद को साफ़ रखकर किसी भी बीमारी से बच सकते हैं।


उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चरगंवा ब्लॉक के सराय गुलेरिया गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की अध्यापिका सीमा गुप्ता को एक वर्ष पहले हेल्थ नोडल टीचर बनाया गया था तबसे उन्होंने बच्चों के साथ-साथ गाँव के लोगों को भी स्वच्छ रहने और बीमारी से दूर रखने का बीड़ा उठा लिया।

सीमा गुप्ता ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मुझे एक वर्ष पहले ये काम दिया गया और तबसे मैं लगातार इस पर काम करने लगी। स्कूल में साफ़ सफाई हमेशा रखी जाती है, जब बच्चे सुबह प्रार्थना के लिए एकत्रित होते हैं तब उन्हें चेक किया जाता है कि कहीं कोई बच्चा गंदे तरीके से होकर तो नहीं आया है या फिर कोई बच्चा बीमार तो नहीं है।"

यह भी पढ़ें : रक्षाबंधन पर स्कूल की रसोइया को उपहार में शौचालय देकर प्रिंसिपल ने पेश की मिसाल

वह आगे बताती हैं, "हम बच्चों को प्रतिज्ञा भी दिलाते हैं कि वो अपने आप को स्वच्छ रखेंगे। बच्चों को कोई भी चीज खेल के द्वारा सिखाई जाए तो वे जल्दी सीखते हैं इसलिए कई खेलों के द्वारा भी बच्चों को सिखाया जाता है।"

सीमा बताती हैं, "बच्चों के अलावा हम गाँव में भी जाते हैं और लोगों को जागरूक करते हैं। गाँव में जापानी बुखार जैसी बीमारियों के लिए हमें किट दी गई है, जिससे हम एक घर से दूसरे घर तक जाकर लोगों को जागरूक करते हैं। गोरखपुर में ज्यादातर बीमारियां गंदे पानी से होती हैं, जिसके लिए लोगों को बहुत जागरूक किया जाता है।"

"एक बार एक जगह पर कई महिलाएं एक छोटे से हैण्डपम्प पर कपडे धुल रही थी। उस हैण्डपम्प के चारों तरफ बड़े-बड़े गड्ढे थे जिसमें गन्दा पानी भरा हुआ था। हमें उस जगह की सफाई करवाई और उस हैण्डपम्प की जगह पर सहायक विकास अधिकारी से बोलकर नया हैण्डपम्प लगवाया, "सीमा ने बताया।

यह भी पढ़ें : खुले में शौच के खिलाफ मुहिम छेड़ बने 'स्वच्छता के मास्टर'

सीमा बताती हैं, "हम हेल्थ नोडल टीचर के काम करने से काफी बदलाव भी आये हैं। बच्चे स्कूल साफ़-सुथरे आने लगे हैं। गाँव में मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। अस्पताल तक लोग चले जाते हैं। बीमारियों के लक्षण पहचान जाते हैं।"

हेल्ड नोडल टीचर ने यह भी बताया, "गाँव में लोगों को यह जानकारी भी नहीं होती है कि वह किस बीमारी से पीड़ित हैं। बिना सोचे समझे झोलाछाप डॉक्टर के पास चले जाते हैं अपने इलाज के लिए। हमने उन्हें ये बता दिया है कि वो किसी भी झोलाछाप के पास जाकर अपना इलाज न करवाएं, बल्कि अपने निकट के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर इलाज करवाएं। इससे लोगों के ऊपर काफी असर भी पड़ा है और लोगों ने निकट स्वास्थ्य केंद्र पर जाने लगे हैं और अगर उन्हें बुखार होता है तो उनके लक्षण भी पहचान जाते हैं।" 

Similar News