शर्मनाक : डॉक्टर्स ने एंबुलेंस देने से मना कर दिया, 80 प्रतिशत झुलसी बहन को कंधे पर लादकर भटकता रहा भाई
लखनऊ। देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति क्या है आप इस तस्वीर को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। अभी हमने कल ही राजस्थान के भरतपुर की खबर साझा की थी जहां एक प्रसूता ने सड़क किनारे बच्चे को जन्म दिया था। और आज ये दूसरी खबर उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की है जहां एक भाई अपनी बहन झुलसी को कंधे पर लेकर चलता रहा, डॉक्टरों ने उसे एंबुलेंस देने से मना कर दिया।
ये घटना जिले के सरकारी जिला अस्पताल की है। कोतवाली क्षेत्र के बरगदिया निवासी गंगावती पत्नी हरिशचन्द्र 14 जून को घर मे खाना बनाते समय लगभग 80 प्रतिशत झुलस गई थी। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां पर गंभीर अवस्था में झुलसी महिला को मंगलवार को लखनऊ रेफर कर दिया गया। परिजनों द्वारा ड्यूटी पर उपस्थित चिकित्सकों से एंबुलेंस मुहैया कराने की बात की गई तो उनसे कहा गया कि प्राइवेट वाहन से लेकर जाओ। गंभीर अवस्था में झुलसी महिला को उसका भाई कंधे पर लादकर टैक्सी स्टैंड तक पहुंचा वहां से प्राइवेट वाहन से लखनऊ ले गया।
वहीं इस मामले में गाँव कनेक्श्न ने जब हरदोई के सीएमएस (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) डॉ एसके गौतम से बात की तो उन्होंने कहा कि महिला के परिजनों ने हमें बताया कि नहीं और उसे लेकर चले गए। इस बारे में हमें जानकारी होती तो हम एंबुलेंस जरूर मुहैया कराते।
ये हाल है तब है जब प्रदेश की योगी सरकार ने कुछ दिनों पहले ही हाईटेक एंबुलेंस की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 अप्रैल को एडवांस लाइफ सपोर्ट के नाम से एंबुलेंस सुविधा की शुरुआत की थी। इसके तहत प्रदेश के सभी जिलों को दो एंबुलेंस महैया कराई गई थी। प्रदेश के 38 जिलों में 76 नए मोबाइल हेल्थ यूनिट शुरू होने वाले हैं।
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रविवार को राजस्थान के भरतपुर में एक महिला ने भरी दोपहरी सड़क के किनारे एक बच्चे को जन्म दिया। ये घटना देश में चल रही जननी योजनाओं को कठघरे में ला खड़ी करती है। सरकार बेटी आगे बढ़ाना चाहती है, पढ़ाना चाहती है, लेकिन जरा सोचिए, जब जननी ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो बेटी कैसे आगे बढ़ेगी।
घटना भरतपुर की है। वक्त पर एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिवार ऑटो से प्रसूता (पिंकी) को लेकर डिलीवरी के लिए नजदीकी अस्पताल लेकर चल पड़ा, लेकिन बीच रास्ते में ही महिला को तेज दर्द होने लगा और उसे ऑटो से उतारना पड़ा। जननी को बीच सड़क पर बिना किसी डॉक्टर या चिकित्सा सेवा के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उस समय तापमान 40 से 45 डिग्री के बीच रहा होगा। सड़क किनारे घर के पुरुष ने सफेद कपड़े की एक दीवार बनाई। साथ की कुछ औरतों ने महिला का प्रसव कराया। बीच सड़क पर चादर का एक कोना पकड़े खड़े महिला के पति ने स्थानीय रिपोर्टर को बताया, एंबुलेंस वाला नंबर नहीं मिला, मजबूरी में ऑटो से अस्पताल ले जा रहे थे लेकिन बीच में दर्द हुआ तो यहीं उतारना पड़ा।" प्रसव की यह घटना जिंदल अस्तपाल के पास ही की है। प्रसूता ने चार बेटी के बाद बेटे को जन्म दिया।