इस बार पीरियड होने पर वो सब करूंगी जो अब तक नहीं करती थी

Update: 2017-05-28 20:52 GMT
गाँव कनेक्शन फाउंडेशन द्वारा विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर गोष्ठियों का आयोजन 

बसंत कुमार

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। ‘‘पीरियड के दिनों में अब तक हमें पूजा करने, खाना बनाने और नहाने से मना किया जाता था, लेकिन आज के बाद मैं वो सब काम करूंगी जो अब तक नहीं करती थी। जिस भगवान ने हमें बनाया वो हमारे छूने से अछूत कैसे हो सकता है।’’ यह बातें माल ब्लाक के करेन्द्र गाँव की रहने वाली रूबी (20 वर्ष) ने कही।

गाँव कनेक्शन फाउंडेशन द्वारा विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसी के तहत लखनऊ से 40 किलोमीटर दूर स्थित माल ब्लाक में भी जागरूकता कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम में महिलाओं और लड़कियों के साथ-साथ भारी संख्या में पुरुषों ने भी हिस्सा लिया।

गाँव कनेक्शन फाउंडेशन द्वारा विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर छात्र 

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माहवारी को लेकर समाज में सालों से फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश करती हुई एन एम भारती ने लोगों को बताया कि माहवारी को लेकर अभी भी हमारे समाज में लोग बातचीत नहीं करते है। लड़कियां इंटरनेट और टीवी देखकर कुछ जागरूक हो गयी हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में हालात अभी भी खराब है। लोग पढ़ाई करने के बाद भी माहवारी को लेकर जो भ्रम स्थापित है सालों से उसे ढो रहे है।’’

भारती ने आगे बताया कि अगर आप माहवारी के दिनों में साफ़ सफाई का ध्यान नहीं रखते है तो गंभीर बीमारी को बुलावा दे रहे है। माहवारी में साफ़-सफाई का ध्यान नहीं रखने के कारण लड़कियाँ माँ बनने की क्षमता भी खो सकती हैं और भविष्य में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की भी शिकार हो सकती है। माहवारी के दिनों में साफ़-सफाई बेहद ज़रूरी होता है।

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कार्य्रकम में ग्रामीण महिलायों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने अनुभव शेयर किए। गाँव की आशा कार्यकर्ता गीता देवी ने बताया, "गाँव में पहले तो और भी ज्यादा अज्ञानता थी लेकिन अब कुछ बदलाव आया है। पहले लोग गंदे कपड़े ही इस्तेमाल करते थे लेकिन अब हमारी कोशिशों से ये साफ़ कपड़े इस्तेमाल करने लगे है।अभी भी कई तरह के भ्रम समाज में फैले हुए है।"

गाँव कनेक्शन फाउंडेशन द्वारा विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के मौके पर छात्र 

गाँव की रहने वाली मालती बताती हैं, "आज के पहले हम कभी पुरुषों के सामने माहवारी पर बात नहीं किए। अपने पति से भी बोलने में शर्म आती थी, लेकिन आज आपलोगों के कारण हमें हिम्मत मिली है और हम इस पर अब बातचीत करेंगे। यह अपवित्र नहीं है आज हमें पता चला।"

जागरूकता अभियान में पुरुष भी हुए शामिल

शहीद भगत सिंह स्कूल के शिक्षक राम प्रताप बताते हैं कि हमें इस चीज़ की जानकरी तो थी, लेकिन हम खुलकर बातचीत नहीं करते थे। अब हम इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत करेंगे। मैं अपने स्कूल के बच्चों को भी इस विषय में जानकारी दूंगा।

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