कोरोना का टीका लगवाने के लिए कितने तैयार हैं ग्रामीण ?

देश भर में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है, मगर कोरोना वैक्सीन के अंतिम नतीजों को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। शहरों से इतर ग्रामीण स्तर पर कैसे चल रहा है कोरोना टीकाकरण अभियान और कोरोना के टीके को लेकर क्या सोचते हैं ग्रामीण, पेश है ग्राउंड रिपोर्ट ...

Update: 2021-01-25 07:34 GMT
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बलऊ खेड़ा गाँव में कोरोना संक्रमण को लेकर ग्रामीण नहीं दिखे सचेत। फोटो : गाँव कनेक्शन

अचलगंज, उन्नाव (उत्तर प्रदेश)। खाट पर बैठ कर अपने जानवरों के लिए रस्सी तैयार कर रहे रामेश्वर से जब पूछा - क्या आप कोरोना का टीका लगवाएंगे? तो रामेश्वर का जवाब सीधा था – "न हमका कोरोना था और न ही अब तक हुआ है, फिर भी अगर पूरा गाँव लगवाएगा तो हम लोग भी लगवा लेंगे।"

करीब डेढ़ एकड़ ज़मीन पर बटाई पर खेती करने वाले 43 वर्षीय रामेश्वर उन्नाव जिले के बलऊ खेड़ा गाँव में रहते हैं। रामेश्वर के गांव से दो किलोमीटर दूर अचलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 22 जनवरी को पहली बार करीब 200 ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना का टीका लगाया गया। आने वाले समय में इन्हीं स्वास्थ्य कर्मियों पर ग्रामीणों को टीका लगाने की भी ज़िम्मेदारी होगी।

गाँवों में काम करने वाले इन स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ अगले चरणों में आम लोगों को भी टीका लगाया जाना है। ऐसे में ग्रामीण टीका लगवाने को लेकर कितना तैयार हैं, 'गाँव कनेक्शन' ने आस-पास के गाँवों में पहुंच कर टीके को लेकर ग्रामीणों का नज़रिया जानने की कोशिश की।

उन्नाव जिले के अचलगंज ग्रामीण क्षेत्र का एक गांव है बलऊ खेड़ा। फोटो : गाँव कनेक्शन 

कोरोना महामारी के खिलाफ 16 जनवरी से भारत में दो स्वदेशी टीकों के साथ टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है। मगर इनमें से एक टीके के अब तक अंतिम नतीजे न जारी किये जाने पर सुरक्षा को लेकर वैक्सीन पर सवाल उठ रहे हैं। टीका लगवाने के बाद देश भर से अब तक कुल छह स्वास्थ्य कर्मियों की मौत की ख़बरें भी सामने आईं हैं। हालांकि सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि इन मौतों का टीके से कोई संबंध नहीं है। सरकार की ओर से स्पष्टीकरण के बावजूद लोगों के मन में कोरोना के टीके को लेकर भ्रम की स्थिति बनी है।

इन सबके के बीच अचलगंज सामुदायिक केंद्र में आशा कार्यकर्ता, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समेत कई ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना का टीका लगवाया और इन्हें टीका लगने के बाद भी मास्क पहनने और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने की हिदायत दी गई।

मगर पास के बलऊ खेड़ा गांव पहुंचने पर ज्यादातर ग्रामीण न तो मास्क पहने नजर आए और न ही सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते दिखे। ज्यादातर मज़दूर और पशुपालन के पेशे से जुड़े इस गांव के लोगों में कोरोना वायरस का भय न के बराबर दिखा।

जब हमारी टीम ने रामेश्वर से पूछा कि क्या आपको कोरोना के टीके को लेकर कोई डर है? तो रामेश्वर ने कहा, "डर वाली बात नहीं है, मगर हमको कोरोना हुआ नहीं है, पूरे गांव को मंजूर होगा तो हम भी टीका लगवा लेंगे।"

बलऊ खेड़ा गाँव में ज्यादातर ग्रामीणों के घर में पले हैं मवेशी। फोटो : गाँव कनेक्शन 

गाँव में आगे बढ़ने पर लगभग हर घर के बाहर जानवर बंधे नजर आए। हमें कुछ लोग बातचीत करते मिले। लेकिन इनमें से किसी ने भी न तो मास्क लगाया था, और न ही उनमें कोरोना का कोई भय नजर आया। इनमें एक गांव में ही शटरिंग का काम करने वाले गौरीलाल भी थे।

यह पूछने पर कि क्या आपके गाँव में कोरोना के मामले सामने आए हैं?, गौरीलाल (35 वर्ष) 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "बहुत पहले, शुरुआत में हमारे गाँव में कोरोना के कुछ मामले मिले थे, मगर फिर सब लोग ठीक भी हो गए, तबसे कोई नया मामला नहीं आया।"

यह बताने पर कि अचलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है, क्या आने वाले समय में आप भी कोरोना का टीका लगवाएंगे? गौरीलाल कहते हैं, "मेरे परिवार में अब तक किसी कोई कोरोना नहीं हुआ है, अगर कोई लक्षण नजर आते हैं और टीका लगवाने के लिए कहा जाता है तो टीका लगवाएंगे, ऐसी कोई डर वाली बात नहीं है।"

बातचीत के दौरान पास में खड़े गाँव के ही किसान रमेश बताते हैं, "कुछ लोग विरोध कर रहे हैं कि टीकाकरण नहीं होना चाहिए, वो गलत कर रहे हैं। जो सरकार कर रही है, तो अच्छे के लिए कर रही, कोई सरकार यह नहीं सोचेगी कि उसके देश का आदमी मरे। जो टीकाकरण हो रहा है, बीमारी से बचाव के लिए हो रहा है, तो यह अच्छी बात है।"

बलऊ खेड़ा गांव में कोरोना वैक्सीन को लेकर चर्चा करते ग्रामीण। फोटो : गाँव कनेक्शन 

रमेश कहते हैं, "मेरा मानना है कि कोरोना का टीका सब लोगों को लगना चाहिए, हमारे गाँव में टीकाकरण को लेकर कोई भ्रम नहीं है, बल्कि लोग चाहते हैं कि टीकाकरण हो जाए तो अच्छा होगा।"

गाँव में आगे बढ़ने पर कुछ महिलाएं घर के बाहर काम करती नजर आईं। कोरोना टीके के बारे में बातचीत करने पर पहले तो कुछ भी बोलने से हिचकिचाती रहीं, मगर फिर पास के बढ़हा गांव की रहने वाली पम्मी सामने आईं।

पम्मी ने 'गाँव कनेक्शन' को बताया, "पहले गाँव में कोरोना के कुछ मामले सामने आए थे, उन सबके बारे में हम लोग सुन भी रहे थे, मगर हमारा सिर्फ इतना ही कहना है कि अगर कोई बीमारी बढ़ रही है तो ज़रूर लगवाएंगे टीका, गाँव में सभी लोगों को लगवाना चाहिए।"

करीब 31 लाख की आबादी वाला उन्नाव जिला देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटा है और इस जिले का करीब 70 फीसदी हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में आता है।

उन्नाव के सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक में आने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अचलगंज से पांच किलोमीटर दूर दौलतपुर गाँव है। इस गाँव की ओर आगे बढ़ते हुए एक स्कूल से शाम को कुछ बच्चे चेहरे पर मास्क लगाए साइकिल से निकलते दिखे, जबकि कुछ शिक्षक स्कूल के ग्राउंड में लकड़ियां जलाकर आग तापते नजर आए।

उन्नाव के दौलतपुर गाँव से शिक्षक अंकित यादव का मानना है कि सुरक्षा की दृष्टि से सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाना चाहिए। फोटो : गाँव कनेक्शन 

गाँव के लोगों में कोरोना के भय से जुड़े एक सवाल पर इस स्कूल के शिक्षक अंकित यादव (35 वर्ष) 'गाँव कनेक्शन' को बताते हैं, "अब जिस तरह से भीड़भाड़ दिखती है, अभी तो शादियों में भी खूब भीड़ नजर आई, तो जैसे पहले कोरोना को लेकर भय था, अब ग्रामीणों में वैसा डर देखने को नहीं मिलता। जब कभी कोरोना वैक्सीन को लेकर गाँव के लोगों से बातचीत भी होती है तो वे लोग कोरोना को बिल्कुल मानते ही नहीं है क्योंकि हमारे दौलतपुर गाँव में कोरोना का कोई मामला नहीं आया।"  

अंकित कहते हैं, "कोरोना महामारी से सब कुछ रुक गया है, जैसे अभी भी स्कूल नहीं खुले हैं, तो जहाँ तक कोरोना वैक्सीन की बात की जाए तो शिक्षित वर्ग के लोग कोरोना वैक्सीन लगवाएंगे, और जब लोग एक-दूसरे को देखेंगे तो फिर सभी लोग लगवाएंगे, मेरे हिसाब से तो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, सुरक्षा के दृष्टिकोण से सभी को वैक्सीन लगनी चाहिए।" 

हालांकि 22 जनवरी को अचलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहली बार चले कोरोना टीकाकरण अभियान में बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों ने टीका लगवाया। टीका लगने के बाद बातचीत में एक आशा संगिनी अनीता कुशवाहा ने 'गाँव कनेक्शन' को बताया, "अगले चरणों में जब ग्रामीणों को वैक्सीन देना होगा तो हमें यही संदेश देना है कि हम लोगों ने भी टीका लगवाया है, और सब लोग टीका लगवाएं, सुरक्षित रहेंगे। अभी 31 जनवरी से पोलियो टीकाकरण अभियान भी शुरू हो रहा है, हम सबको ट्रेनिंग दी गई है और यह बताया गया है कि बच्चों को पोलियो खुराक पिलाने के साथ-साथ गांवों में कोरोना का टीका लगवाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित भी करें।"

फिलहाल अचलगंज ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना टीकाकरण अभियान के पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को लगाए जा रहे टीके के लिए ख़ास तैयारियां की गयीं। कोरोना टीके को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिए मुख्य द्वार पर 'हैं तैयार हम' का बड़ा सा पोस्टर लगाया गया। इसके अलावा पूरे स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जगह-जगह छोटे-बड़े पोस्टर लगाए गए।

ग्रामीणों को टीका लगाए जाने को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तैयारियों को लेकर सवाल पूछने पर अचलगंज सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बृजेश कुमार 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "अभी अचलगंज में पहले चरण में कुल 746 स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया जाना है, हर दिन एक टीकाकरण केंद्र से 100 स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने का लक्ष्य है। अभी हमने स्वास्थ्य केंद्र में दो टीकाकरण केंद्र बनाए हैं। 28 और 29 जनवरी को होने वाले टीकाकरण कार्यक्रम में हम तीन टीकाकरण केंद्र बनायेंगे।"

अगले चरणों के लिए तैयारियों को लेकर डॉ. बृजेश कुमार कहते हैं, "अभी आम लोगों को कैसे टीका लगाया जाना है, कैसे पंजीकरण किया जाना है, इस पर सरकार की ओर से गाइडलाइन्स आनी है, हमें जैसे निर्देश दिए जायेंगे, हम पूरी तैयारी के साथ कोरोना महामारी को दूर करने के लिए व्यवस्था करेंगे।" 

रिपोर्टिंग सहयोग : सुमित यादव 

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