जानिए क्या है PCPNDT एक्ट, जिसकी वजह से यूपी में बढ़ रही लड़कियों की संख्या

भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है

Update: 2019-03-26 09:13 GMT

लखनऊ। पीसीपीएनडीटी एक्‍ट यानी गर्भ में लड़की की पहचान करने के खिलाफ कानून की सख्‍ती और मुखबिर योजना से उत्तर प्रदेश में तीन साल से बेटियों की संख्‍या बढ़ रही है। जहां तीन साल पहले प्रति एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्‍या 902 थी, वह अब बढ़कर 918 हो गयी है।

स्टेट नोडल ऑफीसर पीसीपीएनडीटी (गर्भ धारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक- विनियमन तथा दुरुपयोग अधिनियम)एक्ट डॉ. अजय घई का कहना है, " वर्ष 2015-16 में प्रति हजार यह संख्या 902 थी, जो कि अब 2018-19 में बढ़कर प्रति एक हजार पर 918 हो गई है, लेकिन अभी इसमें और सुधार की जरूरत है।"

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प्रतीकात्मक तस्वीर     साभार: इंटरनेट

डॉ. घई ने बताया, " एक जुलाई 2017 से यूपी में मुखबिर योजना लागू की गई है, जिसमें नौ डिकाय ऑपरेशन किए जा चुके हैं। इस एक्ट के तहत कुल 245 मामले हुए, जिसमें 57 का फैसला हो चुका है। वहीं, 21 मामलों में सजा भी हुई है। उन्होंने सभी अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, नर्सिंग होम मालिकों को हिदायत देते हुए बताया कि जब भी कोई अल्ट्रासाउंड मशीन एक स्थान से दूसरी जगह भेजी जाती है तो यह अब बिना अनुमति लिए नहीं हो सकता है। सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर की तरह सीटी स्कैन एमआरआई सेंटर का पंजीकरण भी बहुत जरूरी है।"

प्रतीकात्मक तस्वीर  साभार: इंटरनेट

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क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट

पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक 'पीएनडीटी' एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है

लखनऊ के प्रसिद्ध अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉक्टर पीके श्रीवास्तव ने पीसीपीएनडीटी के कानूनी बिंदुओं पर कहा " अल्ट्रासाउंड का पंजीकरण समाप्त होने से एक सप्ताह पूर्व प्रार्थना पत्र दे देना चाहिए। पंजीकरण स्थान का होता है, डॉक्टर और मशीन का नहीं होता है। डॉक्टर व मशीन का केवल अंकन होता है। बिना मरीज की आईडी लिए अल्ट्रासाउंड नहीं करना चाहिए।" 

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