पत्नी और तीन बेटों समेत छह की हत्या करने वाले को सजा-ए-मौत

Update: 2017-08-29 21:51 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर 

गाँव कनेक्शन संवाददाता

लखनऊ। राजधानी के मोहनलालगंज में आठ साल पहले पत्नी, तीन बच्चों और दो पड़ोसियों की हत्या करने वाले हैवान को सीबीआई की अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस मामले में दोषी सरवन ( उम्र 43) की मदद करने और साक्ष्यों को छिपाने के लिए उसकी भाभी को चार साल के कारावास की सजा सुनाई है। सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश हरीश त्रिपाठी ने सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील के बीच चली घंटों दलील के बाद फांसी की सजा मुकर्रर की।

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कोर्ट ने इस मामले में दोषी सरवन को समाज के लिए खतरा माना और उसे मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए कहा कि जब अभियुक्त घोर अपराधी पाया जाये और निहत्थे, निर्दोष व्यक्तियों पर हमला करके बिना किसी डर के जान से मार दिया जाये तो उसके लिए आजीवन कारावास का दंड अपर्याप्त होगा। उसे मृत्युदण्ड दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले को विरलतम से विरल की श्रेणी में रखते हुए कहा कि अभियुक्त ने शादीशुदा व बाल बच्चेदार होते हुए अपनी लैंगिक पिपासा व कामविकृति को पूर्ण करने के लिए अपने पूरे परिवार तथा पड़ोसी परिवार के दो सदस्यों समेत कुल 6 लोगों की क्रूर, निर्मम व पैशाचिक ढंग से हत्या कर दी।

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कोर्ट ने अपने 61 पन्नों के निर्णय में कहा कि मृतकों के शरीर पर आई चोटों को देखने से पता चला कि सरवन ने सोच समझकर जान से मारने की नीयत से सभी के शरीर के नाजुक अंगों पर चोट पहुंचाई। वहीं चोट पहुंचाते समय उसका आशय यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी व्यक्ति जिन्दा न बचे।

कोर्ट ने पिशाच बताया, कहा ऐसे लोग समाज के लिए खतरा

सीबीआई कोर्ट ने अपने आदेश में सरवन को पिशाच की संज्ञा देते हुए कहा कि उसने अपने पुत्रों रामरूप (6 वर्ष), सुमिरन (4 वर्ष), रवि (डेढ़ वर्ष) को कुल्हाड़ी से बुरी तरह काट डाला। जज ने कहा कि अबोध बच्चों की हत्या का कोई कारण नहीं था। पुत्र मोह सबसे बड़ा मोह होता है, पुत्र मोह के चलते महाभारत हो चुका है, लेकिन सरवन ने अपने पुत्रों का भी मोह नहीं किया] जिससे स्पष्ट होता है कि वह इंसान नहीं है और उसका कृत्य पैशाचिक है। कोर्ट ने आगे कहा कि सरवन ने अंततः क्रूर, निर्मम, पाशविक, राक्षसी एवं वीभत्स तरीके से अपनी पत्नी, 3 बच्चों व पड़ोसी की पत्नी व बेटी की बेरहमी से हत्या की, जो सामूहिक नरसंहार है। कोर्ट ने कहा कि दोषी सरवन समाज के लिए घोर अभिशाप है, जिसके जिन्दा रहने और जेल से बाहर आने पर वह निश्चित रूप से वादी के परिवार, सदस्यों व समाज के अन्य व्यक्तियों की हत्या कर सकता है।

क्या था मामला

मोहनलालगंज के गौरागांव के रहने वाले कोलई ने 24 अप्रैल 2009 को मोहनलालगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके घर के सामने सरवन का घर है और गांव में यह चर्चा है कि सरवन के अवैध सम्बन्ध अपनी भाभी से है। इसके चलते सरवन की अपनी पत्नी संतोषी से अकसर कहा-सुनी होती रहती थी। बताया गया कि 24 अप्रैल 2009 को सुबह करीब साढ़े 3 बजे सरवन का अपनी पत्नी से विवाद हुआ था और घर से चिल्लाने की आवाजें आने लगी। सरवन चिल्ला कर कह रहा था कि आज तुझे व बच्चों को जिन्दा नहीं छोड़ूंगा, जबकि सरवन की पत्नी जोर-जोर से बचाने के लिए चिल्ला रही थी। इस पर पड़ोसी की पत्नी माधुरी संतोषी को बचाने दौड़ी तो सरवन घर के अन्दर से खून से सनी कुल्हाड़ी लेकर निकला और माधुरी पर कुल्हाड़ी से कई वार कर दिए, जिससे माधुरी वहीं गिर गई और दम तोड़ दिया। इसके बाद माधुरी का बेटा राजेन्द्र व पुत्री संगीता गई तो दोषी ने उन पर भी हमला कर दिया, जिससे दोनों घायल हो गये। 11 वर्षीय पुत्र राजेन्द्र की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। इससे पहले सरवन अपनी पत्नी और तीन बेटों की हत्या कर चुका था।

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