उत्तर प्रदेश के आदर्श ब्लड बैंकों की रिपोर्ट दुनियाभर में होगी मान्य

Update: 2017-06-22 10:48 GMT
उत्तर प्रदेश के आदर्श ब्लड बैंक की जांच पूरी दुनिया में मान्य होगी।

स्वय प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। कई बार खून की जांच कराने के बाद दूसरी जगहों पर वो रिपोर्ट मान्य नहीं होती है, ऐसे में अब उत्तर प्रदेश के आदर्श ब्लड बैंक की जांच पूरी दुनिया में मान्य होगी। लखनऊ समेत प्रदेश के 18 ब्लड बैंक को जल्द ही आदर्श ब्लड बैंक में बदला जाएगा। उत्तर प्रदेश स्टेट एड्स नियंत्रण सोसाइटी (यूपीसैक्स) यह काम रिलायंस के सहयोग से करेगा।

रिलायंस इन ब्लड बैंकों को नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल का शार्टिफिकेट दिलाने में मदद करेगा। इससे इन ब्लड बैंकों में खून की जांच पूरी दुनिया में मान्य होगी। इस योजना के तहत केजीएमयू, पीजीआई, आरएमएल, सिविल अस्पताल, आगरा मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ जिला अस्पताल, इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज, सैफई मेडिकल कॉलेज, इटावा मेडिकल कॉलेज, गाजियाबाद जिला अस्पताल, गौतमबुद्ध नगर जिला अस्पताल, कानपुर मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, मेरठ मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल के ब्लड बैंकों को आदर्श बनाया जाएगा।

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इसमें बीएचयू मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंकों को आदर्श बनाया जाएगा।”यूपीसैक्स के परियोजना निदेशक आरके मिश्र कहते हैं, “एक प्रोजेक्ट के तहत यह शुरू किया जाएगा। अगर प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी शुरू किया जाएगा।“

वर्ष 2013 में 1.37 लाख लोग सिर्फ रोड एक्सीडेंट में मारे गये थे। एक्सीडेंटल केस में 50 प्रतिशत से अधिक मौतें समय पर जरूरी खून नहीं मिल पाने के कारण होती है। इसके अलावा एप्लास्टिक एनीमिया, ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया और मेजर ऑपरेशन के दौरान खून की जरूरत अधिक मात्रा में होती है।

प्रदेश में कुल 286 ब्लड बैंक हैं। वहीं कुल 93 ब्लड बैंक ऐसे हैं, जो कि नेशनल एड्स सोसाइटी (नाको) से सहयोग से चल रहे हैं। केवल गाजियाबाद की एक एचआइवी लैब एनएबीएच शार्टिफाइड है। अभी तक गाजियाबाद के दो अस्पतालों को एनएबीएच का शार्टिफिकेट मिल चुका है। वहीं तीन अस्पतालों ने एनएबीएच के लिए अप्लाई किया है।

इन सभी अस्पतालों में रिलायंस सीएसआर फंड यानि कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी के तहत निःशुल्क काम करेगा। इसमें रिलायंस अपने विशेषज्ञों को भेजकर ब्लड बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेंगे। ब्लड बैंक में होने वाले सारे कार्यों का ठीक तरह से डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा। सभी डाटा अपग्रेड किये जाएंगे, साथ ही लैब में भी मानकों के अनुसार काम किया जाएगा। उन्हें एनएबीएच का शार्टिफिकेट मिलने में मदद मिलेगी। इससे लोगों को इन सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंकों में विश्व स्तरीय ब्लड बैंकों जैसी सुविधाएं मिलेगी।

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आरके मिश्र बताते हैं, “विशेषज्ञ ब्लड बैंकों के डाटा और डॉक्यूमेंटेशन को अपग्रेड करेंगे और प्रदेश के 18 अस्पतालों के ब्लड बैंकों में रिलायंस के सहयोग से जुलाई में यह योजना शुरू होगी। प्रोजेक्ट के सफल होने पर इसे अन्य अस्पतालों में भी शुरू किया जाएगा।”

चालीस हज़ार लोगों को प्रतिदिन खून की आवश्यकता

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनसार, भारत में सालाना करीब चार करोड़ ब्लड यूनिट की जरूरत होती है, जबकि 40 लाख ब्लड यूनिट ही उपलब्ध हो पाता है। भारत में करीब 40 हजार लोगों को प्रतिदिन ब्लड डोनेशन की आवश्यकता होती है। देश में 20 प्रतिशत लोग भी यहां ब्लड डोनेट करते हैं।

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