आश्चर्यजनक : उत्तर प्रदेश की महिलाएं फायर फाइटिंग के काबिल नहीं !

Update: 2017-06-06 20:30 GMT
राजस्थान में फायर सर्विस विभाग में महिलाओं की नियुक्ति होती है। 

लखनऊ। ब्रिटिश शासन 15 अगस्त 1947 को खत्म हुआ और भारत ब्रिटिश राज से मुक्त हो गया, लेकिन आज भी फायर सर्विस विभाग में ब्रिटिश शासन द्वारा बनाए गए नियमों को ढोया जा रहा है, जिसे बदल पाने की जहमत किसी राज्य सरकार ने नहीं उठाई है।

यूपी फायर विभाग में 1944 से लेकर अब तक महिलाओं की भागीदारी नहीं हुई है। जबकि बीते 72 सालों में इस विभाग में कई संशोधन किए गए, लेकिन ब्रिटिश कार्यकाल के समय महिलाओं पर लगा भर्ती पर से प्रतिबंध नहीं हटाया गया, हालांकि पिछले वर्ष फायर विभाग ने इस नियमावली को बदलने के लिए विभाग में एक प्रस्ताव बनाकर भेजा था, फिलहाल मौजूदा समय में उस प्रस्ताव पर अबतक कोई विचार नहीं हुआ, जिसके चलते फायर सर्विस में महिला फायर फाइटर की भर्ती नहीं की जा रही है।

ये भी पढ़ें- मात्र 285 फायर स्टेशनों पर 1 लाख 6 हजार गाँव का जिम्मा

ब्रिटिश हुकूमत ने 1944 फायर सर्विस एक्ट के तहत इस विभाग के लिए 1945 में नियमावली बनाई थी। इस नियमावली में ब्रिटिश सरकार ने फायर सर्विस में आग बुझाने का काम जोखिम भरा मान कर महिलाओं की भर्ती पर रोक लगा रखा था। साथ ही ब्रिटिश राज के वक्त सेना सहित पुलिस सेवा में भी महिलाओं की भर्ती पर रोक लगी हुई थी। जिसे देश आजाद होने के बाद सेना और सिविल सेवा के नियमावली में सरकार ने बदलाव कर महिलाओं की भर्ती पर से रोक हटा दी थी, इसके बाद से देश में महिलाओं ने हर ओर अपना परचम लहराया, जिसे देश-दुनिया में भी लोगों ने सराहा है जबकि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों ने फायर विभाग नियमावली में कोई संशोधन न कर पुराने एक्ट के तहत महिलाओं की भर्ती पर आज तक रोक लगा रखी है।

जहां एक तरफ फायर सर्विस विभाग में अराजपत्रित कर्मचारी भर्ती सेवा नियमावली में संशोधन 2010, 2013 और 2015 में हुआ था, लेकिन इस बदलाव में महिलाओं की भर्ती पर विचार नहीं किया गया।

1972 तक फायर सर्विस की कमान ब्रिटिश अधिकारी के पास थी

1944 से 1972 तक देश में फायर सर्विस की कमान फायर स्टेट अफसर तिलक कॉक के हाथों में थी। इसके बाद 1976 तक एआईजी की तैनाती रही। इसके बाद कानून में संशोधन कर इस विभाग में एक आईपीएस अफसर का पद सृजित कर उसकी तैनाती की गई। साथ ही बदलते हालात को देखते हुए फायर सर्विस विभाग को पुलिस विभाग में समायोजित कर लिया गया। वक्त के साथ-साथ इस विभाग में डीआईजी, आईजी से लेकर डीजी फायर सर्विस पद तक सृजित किया गया, लेकिन तब से लेकर इस विभाग में 15 डीजी तैनात हो गए, लेकिन अबतक यह मौका किसी महिला आईपीएस को नहीं दिया गया।

ये भी पढ़ें- 16 फ्रेक्चर, 8 सर्जरी और परिवार द्वारा छोड़े जाने के बाद भी सिविल सर्विस में पास हुईं उम्मुल खेर

इन राज्यों ने बदला नियम

फायर सर्विस विभाग में महिला फायर फाइटर की भर्ती नियमों में तमिलनाडु, महारष्ट्र, गोवा और राजस्थान ने ब्रिटिश राज के नियमों में संशोधन कर नई नियमावली बना महिला फाइटरों की भर्ती शुरू कर दी जबकि यूपी सहित अन्य राज्यों ने अबतक पुराने नियमावली में कोई संशोधन नहीं किया है।

अधर में लटका प्रस्ताव

सीएफओ चीफ फायर ऑफिसर अभय भान पाण्डेय ने बताया कि, ब्रिटीश राज के वक्त बने एक्ट में संशोधन के लिए पिछले वर्ष एक प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय से शासन में भेजा गया था, जिससे फायर विभाग में भी महिलाओं की भागीदारी हो, लेकिन शासन में यह प्रस्ताव अभी तक लंबित पड़ा है। हालांकि उम्मीद है कि, जल्द ही विभाग द्धारा भेजे गए प्रस्ताव को पास कर महिला फायर फाइटर की भर्ती प्रणाली शुरू हो जाएगी।

Similar News