मैंने पहले ही कहा था तलवार दम्पति निर्दोष हैं: अरुण कुमार, सीबीआई के पहले जाँचकर्ता

Update: 2017-10-13 12:16 GMT
आरुषि हत्याकांड की जांच करने वाली पहली सीबीआई टीम का नेतृत्व करने वाले आधिकारी अरुण कुमा

लखनऊ। आरुषि हत्याकांड में सीबीआई की कार्यशैली में ही विरोधाभास दिखाई देते हैं। मामले की जांच करने वाली सीबीआई की दूसरी टीम ने पहली टीम द्वारा जुटाए गए सबूतों को नजरअंदाज कर दिया। सीबीआई की पहली टीम ने अपने सुबूतों में तलवार दंपति को दोषी नहीं पाया था।

आरुषि हत्याकांड की जांच करने वाली पहली सीबीआई टीम का नेतृत्व करने वाले आधिकारी अरुण कुमार ने 'गाँव कनेक्शन' को बताया, "मैं तो शुरू से कह रहा था कि तलवार दंपति दोषी नहीं हैं, हमारी टीम ने जो सुबूत जुटाए थे, वो दूसरी टीम ने नज़रअंदाज कर दिए। सीबीआई की दूसरी टीम ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी। पहली टीम द्वारा जुटाए गए सुबूतों को कोर्ट में पेश नहीं किया गया, आगे कहते हैं, "पहली टीम ने जिन तीन लोगों को आरोपी बनाया था, उस पर जांच की जानी चाहिए थी।"

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आईपीएस अधिकारी अरुण कुमार इस समय बॉडर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) में अतिरिक्त महानिदेशक हैं के पद पर तैनात हैं। आरुषि हत्याकांड की जांच करने वाली सीबीआई टीम का नेतृत्व करने वाले अरुण कुमार के यूपी कैडर लौटने के कारण दूसरी टीम बनाई गई।

13 जून 2008 को डॉ. राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। तलवार के दोस्त दुर्रानी के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी बाद में गिरफ्तार किया गया। तीनों इस दोहरे हत्याकांड के आरोपी बने। इसके बाद 12 सितंबर, 2008 को कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को लोअर कोर्ट से जमानत मिली। सीबीआई 90 दिन तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी।

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एडीजी अरुण कुमार बताया, "सीबीआई की दूसरी टीम ने एक तो केस को इतना लंबा खींचा, दूसरे कई स्तरों पर चूक भी की गई। सीबीआई की दूसरी टीम ने लगता है कि तलवार दंपति के खिलाफ जजमेंट बनाकर जांच शुरू की। क्लोजर रिपोर्ट भी एकदम से फाइल कर दी," आगे बताया, "क्या गारंटी है कि ऐसा आगे दूसरे मामलों में नहीं होगा, निर्दोष लोग सजा पाते रहेंगे।" एडीजी अरुण कुमार ने आरुषि हत्याकांड मामले में ट्वीट कर अपनी बात भी कही है।

आरुषि हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआई की दूसरी टीम 10 सितंबर, 2009 को बनाई गई थी। 10 अक्टूबर, 2013 को सीबीआई कोर्ट में फाइनल बहस शुरू हुई और 25 नवंबर 2013 को तलवार दंपति को गाज़ियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई।

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इस मामले में जांच में कई स्तर पर हुई खामी को भी एडीजी अरुण कुमार स्वीकार करते हैं। वह बताते हैं,"सबसे पहले यूपी पुलिस ने बिल्कुल अनप्रोफेश्नल तरीके से जांच की, जिससे सुबूतों से छेड़छाड हुई। छत पर हेमराज की लाश थी, लेकिन पुलिस वहां तक नहीं पहुंची। हेमराज पर एफआईआर दर्ज कर दी।"

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