गाँव कनेक्शन : ईमानदारी की पत्रकारिता के छह साल

Update: 2018-12-02 03:30 GMT

आज गाँव कनेक्शन की छठवीं वर्षगांठ है। इन छह वर्षों में हमने भारत के सबसे बड़े पत्रकारिता पुरस्कार जीते, अपनी वीडियो पत्रकारिता के जरिए राष्ट्रीय चैनलों के साथ मिलकर करोड़ों दर्शकों तक पहुंचे लेकिन सबसे बहुमूल्य है लाखों ग्रामीण नागरिकों का स्नेह। पढ़िए हमारी छह साल की उपलब्धियों का सफर...

गांव के लोगों, किसानों के अख़बार गांव कनेक्शऩ की शुरुआत 2 दिसंबर 2012 को उत्तर प्रदेश के एक गांव में हुई थी। इन छह वर्षों में गाँव कनेक्शन ने नए मुकाम हासिल किए, पहले साप्ताहिक, फिर दैनिक अखबार के बाद अब डिजिटल माध्यम से ग्रामीण भारत की अलग झलक को देश-दुनिया तक पहुंचा रहा है। इन छह वर्षों में गाँव कनेक्शन को पत्रकारिता के क्षेत्र के कई उत्कृष्ट सम्मानों से सम्मानित किया गया। साथ ही गाँव कनेक्शन के काम को देश-विदेश की कई मीडिया संस्थानों ने इसके काम को सराहा। आइए नजर डालते हैं गाँव कनेक्शन की उपलब्धियों पर।

गाँव कनेक्शन को मिला पहला लाडली मीडिया अवार्ड (2013)

नई दिल्ली। अपने शुभारंभ से ही लोगों के बीच अलग पहचान बना चुके गाँव कनेक्शन को उसकी पहली सालगिरह पूरी होते ही एक प्रतिष्ठित मीडिया पुरस्कार से नवाजा गया। गाँव कनेक्शन के प्रधान संपादक डॉ. एसबी मिश्र को जेंडर सेंसिटिविटी पर उनके लेख के लिए वर्ष 2013 के उत्तरीय क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ संपादकीय  के लिए पुरस्कृत किया।

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लाड़ली अवार्ड के साथ गांव कनेक्शन के प्रधान संपादक डॉ. एसबी मिश्र।

डॉ. एसबी मिश्र को यह सम्मान 'भारतीय समाज में बढ़ता यौन शोषण' शीर्षक से छपे लेख के लिए दिया गया। यूनाइटेड नेशन पॉपूलेशन फंड, इंडिया (यूएनएफओ) की ओर से मीडिया एवं जनसंचार में काम करने वाले पत्रकारों को औरतों और उनके अधिकारों से संबंधित समाज में जागरूकता लाने के लिए हर साल लाडली मीडिया अवार्ड दिया जाता है।

दूरदर्शन पर भी गाँव कनेक्शन ने दिखायी असली गाँव की झलक

दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल डीडी नेशनल पर हमारा गांव कनेक्शऩ के नाम से गांव कनेक्शन ने ग्रामीण भारत की एक अलग झलक दिखायी। ग्रामीण भारत के ऐसे हीरोज का सामने ले आया जिसे कोई जानता तक नहीं था। गाँव कनेक्शन के संस्थापक नीलेश मिसरा ने ही इस प्रोग्राम को प्रस्तुत किया था, जिसे काफी लोकप्रियता मिली। (हमारा गांव कनेक्शन शो देखने के लिए यहां क्लिक करें )

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2014 में सोमवार से मंगलवार प्रसारित होता था हमारा गांव कनेक्शऩ शो।

'आजतक' का 'गाँव कनेक्शन'

दूरदर्शन पर हमारा गांव कनेक्शऩ शो खत्म होने के बाद गांव कनेक्शऩ टीवी पर देश के सबसे लोकप्रिय न्यूज चैनल आज तक के साथ नजर आया। आज तक और गांव कनेक्शन ने मिलकर आज तक का गांव कनेक्शन शुरु किया। इस शो में भी गांव की वो ख़बरें और कहानियां थीं, जिन्हें अब तक मेन स्ट्रीम मीडिया में वैसी तवज्जो नहीं मिलती थी। (आज तक का गांव कनेक्शऩ शो देखने के लिए यहां क्लिक करें)

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यह न्यूज़ बुलेटिन 14 सितंबर 2015 से सोमवार से शुक्रवार शाम 5.30 बजे, और रविवार रात 8 बजे आजतक पर प्रसारित किया जाएगा। भारत की दो तिहाई आबादी गाँव में बसती है। लेकिन शोध करने वाली राष्ट्रीय स्तर की संस्था सीएसडीएस के अनुसार मुख्यधारा की मीडिया में गाँव की खबरों को मात्र दो प्रतिशत ही जगह मिलती है।

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गाँव कनेक्शन को भारत का सर्वोच्च पत्रकारिता सम्मान (2012)

लखनऊ। भारत में सबसे लोकप्रिय ग्रामीण अखबार गाँव कनेक्शन को देश के सबसे बड़े पत्रकारिता सम्मान रामनाथ गोयनका पुरस्कार 2012 से नवाजा गया।

अखबार के संस्थापक नीलेश मिसरा और एसोसिएट एडिटर मनीष मिश्रा को यह सम्मान अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल की श्रेणी में उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए दिया गया। इस सीरीज में नीलेश मिसरा की तीन लड़कियां, मनीष मिश्रा की वर्दी पहनती हूं तो ताकत आ जाती है' शीर्षक से छपी खबरें शामिल थीं। नई दिल्ली में 9 सितम्बर 2014 को भारत के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने किया।

लगातार दूसरी बार गाँव कनेक्शन को मिला रामनाथ गोयनका पुरस्कार (2013)

लखनऊ। भारत के ग्रामीण अखबार गाँव कनेक्शन ने लगातार दूसरी बार देश का सर्वोच्च पत्रकारिता सम्मान प्राप्त किया। गाँव कनेक्शन की अनु सिंह चौधरी को 'स्पोर्ट्स जर्नलिज्म' श्रेणी में रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें ग्रामीण लड़कियां कैसे खेलों के ज़ारिये ख़ुद को सशक्त बना रही हैं, इस बारे में लिखी गयी कहानियों की सिरीज़ के लिए मिला।

"गाँव कनेक्शन में छपी हमारी इस सीरीज़ की सच्ची कहानियों से साबित हो गया है कि सीमित संसाधनों और अवसरों के बावजूद गाँवों की हुनरमंद लड़कियां अपने लिए नए रास्ते बना रही हैं। रास्ता दूभर है, लेकिन बंद नहीं है। गोयनका अवॉर्ड उसी जज़्बे को मिला सम्मान है" अनु सिंह चौधरी ने कहा। अनु सिंह चौधरी पहले भी गाँव कनेक्शन का प्रतिनिधित्व करते हुए 'लाडली राष्ट्रीय मीडिया पुरस्कार' प्राप्त कर चुकी हैं।

गोयनका अवार्ड से नीलेश मिसरा और मनीष मिश्र को सम्मानित करती लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन।

"अनु सिंह बेहद संवेदनशील लेखिका हैं। इन्होंने ग्रामीण लड़कियों की इस सिरीज़ के ज़रिये ग्रामीण भारत से जुड़े कई मिथक भी तोड़े और ग्रामीण भारत से जुड़ी पत्रकारिता को एक नया दर्जा दिया है" गाँव कनेक्शन के संस्थापक नीलेश मिसरा ने कहा।

गाँव कनेक्शन को किया गया तीसरी बार लाडली मीडिया पुरस्कार से सम्मानित (2015)

गाँव कनेक्शन की सीनियर सब एडिटर श्रृंखला पांडेय को लाडली मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया। श्रृंखला पांडेय को 'ग्रामीण नारी का सपना स्वच्छ जीवन' शीर्षक से प्रकाशित श्रृंखला के लिए सम्मानित किया गया। इस सीरीज में ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता के मुद्दे को उठाया गया था।

लाडली अवार्ड लेते हुए श्रृंखला पांडेय।

अल जजीरा चैनल ने ग्रामीण खबरों को जानने के लिए गाँव कनेक्शन को बताया माध्यम

अंतराष्ट्रीय चैनल अलजजीरा ने गांव कनेक्शन को बताया गांव की आवाज़।

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भारतीय मीडिया में गाँव गायब

भारत की दो तिहाई आबादी भले ही गाँवों में रहती हो, लेकिन देश की मीडिया में ग्रामीण खबरों को तव्वज़ो नहीं मिलती। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में मुख्यधारा की मीडिया से गाँव गायब हो गए हैं। हालांकि ग्रामीण पत्रकारिता के लिए 'गाँव कनेक्शन' को सराहा गया है।

संस्थापक नीलेश मिसरा की ज़ुबानी सुनिए गांव कनेक्शऩ की कहानी (वीडियो नीचे है)

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देश के मीडिया पर सर्वे करने वाली संस्था सीएमएस मीडिया ने नवंबर, दिसंबर 2014 में देश के प्रमुख अखबारों के सर्वे में पाया कि इनके पहले पेज पर ग्रामीण भारत की खबरों का प्रतिशत शून्य रहा। बस दिसंबर में अंग्रेजी अखबार द हिन्दू ने पहले पेज की खबरों के कुल प्रतिशत का 1.37 प्रतिशत ग्रामीण भारत की खबरों को स्थान दिया। इसी तरह, टीवी चैनलों के प्राइम टाइम प्रोग्रामिंग का जब विश्लेषण किया गया तो किसी भी चैनल ने ग्रामीण भारत की खबरों को सात प्रतिशत से अधिक का समय नहीं दिया।

अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड के लिए गाँव कनेक्शन नामित

गाँव कनेक्शन को एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। जर्मन मीडिया हाउस 'डायचे विले' ने दुनियाभर से 4800 नामांकनों में से गाँव कनेक्शन की वेबसाइट को 14 अंतर्राष्ट्रीय प्रविष्टियों में चुना था, ये भारत से एक मात्र नामांकन था।

लगातार चौथी बार मिला लाडली मीडिया अवार्ड (2016)

गाँव कनेक्शन अखबार के रिपोर्टर देवांशु मणि तिवारी को बेस्ट फीचर रिपोर्ट ऑन जेंडर सेंसटिविटी कैटेगरी के अंतर्गत 'बदल रहीं खाप पंचायतें' खबर पर लाडली पुरस्कार 2015-16 दिया गया। यह खबर हरियाणा राज्य की खाप पंचायतों के महिलाओं के प्रति एक सार्थक कदमों के बारे में थी। इसमें खाप पंचायतों के महिलाओं के हक में दिये गए फरमान और पंचायत में महिलाओं शिक्षा के प्रति उगाए गए कदमों का ज़िक्र किया गया था। ये फैसले हरियाणा में बढ़ रही महिला भ्रूण हत्या को कम करने में सार्थक भी साबित हुए हैं।

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गांव कनेक्शन के सरोकार की पत्रकारिता और जश्न की झलक नीचे वीडियो में देखिए..

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