लव मैरिज का दर्दनाक अंत, प्रीति की आपबीती देख कहीं प्यार से भरोसा न उठ जाए

Update: 2018-10-16 05:53 GMT
लखनऊ की प्रीति पर उसके पति ने इतने जुल्म किए कि सुनकर आप की रूह कांप जाएगी।

महिला पर हुए जुल्म की न तो हम आपको ख़बर पढ़ाना चाहते हैं न वीडियो दिखाना, लेकिन मजबूरी है... ताकि आप जुल्म का शिकार न ह

लखनऊ के इंदिरानगर के तकरोही में रहने वाली प्रीति खरे ने दस साल पहले प्रेम विवाह करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा था कि उनके साथ ये सब होगा। प्रीति के पति ड्राइवर हैं और वो अक्सर शराब के नशे में उन्हें मारते-पीटते थे। प्रीति बताती हैं, गाली गलौज मार-पीट तो हमेशा होती थी लेकिन मैनें कभी ऐक्शन नहीं लिया। किसी को इस बारे में बताया भी नहीं कि बेइज्जती ही होगी।

लेकिन एक दिन उन्होंने मुझे चाय बनाने के लिए कहा और किचन में चाय बनाते समय एक भारी औजार से मेरे सिर पर मारा मैं नीचे गिर गई। इसके बाद उन्होंने गैस पर चढ़ी खौलती चाय मेरे ऊपर डाल दी। जब तक मैं कुछ करती वो वहां से भाग गए।

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रोज-रोज की थोड़ी बहुत मार और गालियां कभी इतना भयानक रूप धारण कर लेगी, प्रीति ने ऐसा नहीं सोचा था। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सम्बन्ध में वर्ष 2015 में जो मामले दर्ज हुए हैं उनमें उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है। उत्तर प्रदेश में 35527, महाराष्ट्र में 31126, पश्चिम बंगाल में 33218 इतने मामले दर्ज हुए हैं। महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम का निर्माण वर्ष 2005 में हुआ जो 26 अक्टूबर 2016 को लागू किया गया।

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पति-पत्नी के ये झगड़े बच्चों के भविष्य पर भी असर डालते हैं। प्रीति का छह वर्ष का बेटा महीनों से स्कूल नहीं जा रहा है। पूछने पर वो सिर्फ इतना कह पाता है कि पापा बहुत गंदे हैं, वो सबको मारते हैं।

अलीगंज की रहने वालीं रचना तिवारी (28 वर्ष) अभी कुछ दिन पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज होकर आई हैं। रचना बताती हैं, मेरे पति शक्की किस्म के इंसान हैं, वो हर छोटी मोटी बात पर मुझे मारते हैं। अगर मैं दूधवाले या सब्जीवाले से भी बात करूं तो उन्हें बहाना मिल जाता था। वो काम पर जाने से पहले मुझे ये कहकर जाते थे कि मैं घर से बिल्कुल बाहर कदम न रखूं।

रचना आगे बताती हैं, "एक दिन मैं पड़ोसी के घर चली गई थी और उनके घर आने पर जब नहीं मिली तो उन्होंने गुस्से में मुझे बहुत मारा, मैं उस समय प्रेग्नेंट थीं, मुझे बहुत चोटें आईं थीं और मुझे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।" एसपी ट्रांस गोमती नगर हरेन्द्र कुमार बताते हैं, "ऐसे मामलों में शिकायत करने में अक्सर महिलाएं देरी कर देती हैं। बदनामी के डर से वो रिपोर्ट नहीं कराती और धीरे धीरे ये छोटी घटनाएं बड़े हादसे में बदल जाती हैं।"

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वो आगे बताते हैं, "ऐसे मामलों में पहले महिला से पूछा जाता है कि वो एफआईआर कराना चाह रही है या चाहती है कि काउसंलिंग करके उसके पति को समझा दिया जाए। ऐसे मामलों में पुलिस तुरंत ऐक्शन लेती है।"

जिस पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं करवाचौथ व तीज का व्रत रखती हैं उसी समाज में कुछ पतियों का ये रूप डरा देने वाला है। लेकिन ऐसी हिंसा को बढ़ावा भी महिला की चुप्पी से ही मिलता है। इस बारे में 181 हेल्पलाइन की काउंसलर अर्चना बताती हैं, "हमारे पास ऐसे मामले आए दिन आते हैं, पति के खिलाफ, ससुराल वालों के खिलाफ। घरेलू हिंसा को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है उसका विरोध करना। हिंसा को सहने के बजाय उसकी शिकायत करना। तभी ऐसे मामले रूकेंगे। अभी क्या है कि महिलाएं भावुक होकर ऐसे मामलों में किसी से कुछ कहती नहीं हैं।"

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इन घटनाओं से निकलने के लिए महिलाओं को खुद हिम्मत करनी होगी। इस बारे में लखनऊ के मदर लैप वेलफेयर फाउंडेशन की प्रेसीडेंट मानसी प्रीत जस्सी बताती हैं, "मेरा मानना है कि इसके लिए महिला को खुद को शारीरिक तौर पर मजबूत बनाना बहुत जरूरी है और महिलाओं को ही इसकी पहल करनी पड़ेगी क्योंकि जो खुद के लिए नहीं लड़ सकता वो दूसरों के लिए लड़ना तो दूर, दूसरों की समस्याओं ओर दुखों को भी नहीं समझ पायेगा। जागरूकता जगानी बहुत ज़रूरी है।"

घरेलू हिंसा महिलाओं को शारीरिक रूप से तो कमजोर करती ही है कई बार इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी बहुत गहरा पड़ता है, कई बार वो डिप्रेशन में चली जाती हैं। महिलाओं को ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए इसके बारे में मेडिकल कॉलेज के मनोवैज्ञानिक डॉ विवेक अग्रवाल बताते हैं, ''महिलाओं को अपने सबसे करीबी जिनपर उन्हें भरोसा है उनसे अपनी बातें या परेशानियां साझा करनी चाहिए। इसके अलावा कुछ गतिविधियों में भाग लें जिसमें उनका रूझान हो । कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लें।''

कहां दर्ज कराएं रिपोर्ट

डीआईआर को घरेलू घटना रिपोर्ट (डोमेस्टिक इंसीडेंट रिपोर्ट) कहते हैं, जिसमें घरेलू हिंसा सम्बन्धी प्रारंभिक जानकारी दर्ज कराई जाती है। हर जिले में सुरक्षा अधिकारी सरकार द्वारा नियुक्त होता है। सुरक्षा अधिकारी ही घरेलू हिंसा रिपोर्ट दर्ज करता है। इसके अलावा महिलाएं महिला थाने में जाकर या हेल्पलाइन नम्बर 181 या 1090 से भी मदद ले सकती हैं।

चुप्पी तोड़िए

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