बदायूं केस : मृतका की माँ ने कहा, 'पुलिस ने कहा शव जला दो ... तुम बुजुर्ग हो पैसा नहीं, कौन करेगा पैरवी?

ये दर्दभरी दास्तां मृतका की उस माँ की है जो महज 28 साल की उम्र में विधवा हो गईं थीं, इनके पास खेती के लिए एक इंच भी जमीन नहीं थी। इनकी चारों बेटियां छोटी-छोटी थीं, दूसरे के खेतों में मेहनत मजदूरी करके, भैंस पालकर अपनी सभी बेटियों को पढ़ाया है। पढ़िए पुलिस ने क्या कहकर इस माँ को थाने से वापस भेज दिया था?

Update: 2021-01-08 12:22 GMT

"सिर्फ एक बार चलकर मन्दिर के बाबा से पूछ लो, हमारी बेटी कैसे मरी? बस हमें तसल्ली हो जायेगी।"

मृतका की बुजुर्ग माँ के अनुसार ये कहते हुए वो पुलिस के सामने बहुत गिड़गिड़ाई थी, हाथ जोड़े थे, पैर पड़ीं थी पर पुलिस ने उनकी एक न सुनी थी। 

मृतका की 60 वर्षीय माँ बोलीं, उस दिन पुलिस ने मुझसे कहा, "पंचायतनामा भरकर मिट्टी जला दो, तुम्हारे पास पैसा नहीं है ... केस कैसे लड़ पाओगी ?' तुम बुजुर्ग हो, कौन करेगा केस की पैरवी?"

मृतक महिला की मां बताती हैं, "हमने पुलिस से कहा- हम मिट्टी जला देंगे पर एक बार चलकर मेरी बेटी की हालत देख लीजिये और उस बाबा से बस इतना पूछ लीजिये, आख़िर कैसी मरी वो? मुझे धीर (तसल्ली) हो जायेगी।"

गाँव कनेक्शन की संवाददाता जब मृतका की माँ का वीडियो बना रही थी तो वो बड़े भरोसे से बोलीं, "जब मैं थाने से लौटकर आयी तब आप जैसे बहुत लोगों ने उस दिन भी मेरा वीडियो बनाया था। जब वीडियो सब जगह चल गया। 112 पर फोन भी किया गया तब पुलिस शाम को आयी थी।"

ये है मृतका की माँ का घर, जहाँ वो अकेले रहती हैं. फोटो : नीतू सिंह 

पुलिस की कार्रवाई पर सिर्फ मृतका की माँ ही नाराज नहीं हैं बल्कि पीड़ित के गांव हर किसी में इस बात को लेकर आक्रोश, गुस्सा है, नाराजगी है, शिकायत है। दिल्ली से आयीं राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चन्द्रमुखी देवी ने भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाये, "मैं पुलिस की भूमिका से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हूँ। पुलिस एक दूसरे केस में इतना व्यस्त थी कि इतने संवेदनशील मामले की रिपोर्ट दर्ज करना भी जरुरी नहीं समझा। पुलिस अधीक्षक के अनुसार जब मृतका घर आयी थी तब जिंदा थी अगर उसे समय से इलाज मिल जाता, कार्रवाई हो जाती तो सकता है वो आज जिंदा होती।"

चन्द्रमुखी देवी ने आगे कहा, "एक तरफ केंद्र की बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना चल रही है दूसरी तरफ यूपी में मिशन शक्ति अभियान चल रहा है इसके बावजूद इस तरह की वीभत्स घटनाएं थम नहीं रहीं। जनता में पुलिस का खौफ़ ख़त्म हो रहा है। अगर पुलिस अनावश्यक लाठियां भांजने के बजाए ऐसे केसों में संवेदनशीलता दिखाए, त्वरित कार्रवाई करके दोषियों सजा दिलाए तभी ये घटनाएं रुक सकती हैं।" हालांकि अपने एक बयान को लेकर खुद चंद्रमुखी देवी सुर्खियों में हैं। 

बदायूं के उघैती थाना पुलिस पर आरोप है कि मृतका का परिवार जब थाने शिकायत लेकर पहुंचा तो उसे तहरीर रखकर टरका दिया गया। परिजनों ने 112 पर फोन किया तब शाम को पुलिस पहुंची। घटना के 18 घंटे बाद शव का पंचनामा हुआ और 48 घंटे बाद पोस्टमार्टम। घटना का मुख्य आरोपी महंत घटना के दूसरे दिन शाम तक मन्दिर में ही बना रहा और सबको ये गुमराह करता रहा कि मृतका पूजा करने आयी थी और कुएं में गिर गयी जिस वजह से उसकी मौत हो गयी। पांच जनवरी को जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आयी तब कहीं जाकर इस घटना ने तूल पकड़ा और तब पुलिस सक्रिय हुई। फिलहाल तीनों आरोपी पुलिस की गिरप्त में हैं। उघैती थाने के तत्कालीन खानेदार को संस्पेड कर मुकदमा दर्ज किया गया है।

ये है मन्दिर का वो परिसर जहाँ 40 वर्षीय आंगनबाड़ी की गैंगरेप करके हत्या की गयी. फोटो : नीतू सिंह 

महिला मुद्दों पर निःशुल्क कानूनी सलाह देने करने वाली एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स (आली) संस्था की कार्यकारी निदेशक एवं वकील रेनू मिश्रा ने पुलिस की कार्रवाई हीलाहवाली और पोस्टमार्टम में देरी पर सवाल उठाए हैं, "जांच और पोस्टमॉर्टम में देरी करने से कई अहम साक्ष्य मिट जाते हैं। पुलिस चार्जशीट तो फाइल करती है लेकिन कोर्ट में आरोपी को सजा दिलाने में बहुत मुश्किल आती है।"

लखनऊ में रहने वाली वकील रेनू मिश्रा कहती हैं, "निर्भया केस के बाद बने कानून के तहत ऐसे पुलिककर्मी पर 166 AC के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस ऐसे मामलों में न के बराबर ही कार्रवाई करती है। पुलिस की इसी लचर व्यवस्था की वजह से आरोपियों का मनोबल बढ़ा हुआ है जिस वजह से लगातार ऐसी वीभत्स घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं।" 

मृतका की माँ का एक कमरे का घर है, जिसकी दीवारें जरुर पक्की हैं लेकिन छत के नाम पर टीन रखी है, बारिश या ज्यादा कोहरे में उस टीन से पानी कमरे में टपकता है। दरवाजे से कमरे तक पहुंचने में बहुत कीचड़ था क्योंकि घर के अन्दर ही एक कोने में भैंस बंधी थी, हल्की बरसात में इस तरह का कीचड़ अकसर हो जाता है। इनके पास गृहस्थी के नाम पर दो चारपाई, एक बक्सा गिनती के कुछ बर्तन हैं। घर में बिजली का मीटर लगा हुआ है पर ये दिया जलाती हैं क्योंकि इनका कहना है कि हम बिल नहीं भर सकते इसलिए इस मीटर हटा दिया जाए।

मृतका का वो कमरा जहाँ वो अक्सर पूजा-पाठ किया करती थीं और इसी में रहती थीं. फोटो : नीतू सिंह 

भर्राए गले से ये माँ बता रहीं थीं, "बिना पति बिना जमीन इन बेटियों के सहारे अकेले पूरी जिंदगी गुजार दी। अगर वो मौत से मरती तो मुझे इतनी न अखरती। उसका पति मंदबुद्धि का है शादी से पहले ये बात मुझे नहीं पता थी, नौवीं दसवीं में पढ़ रही थी तभी 16 साल की उम्र में हमने शादी कर दी। बहुत होशियार और तेज दिमाग की थी, जब 100-150 रुपए मिलते थे तबसे आंगनबाड़ी सहायिका में काम कर रही थी।"

"घर का पूरा खर्चा वही चलाती थी, इस बुढ़ापे में उससे जितना बन पड़ता मुझे भी मदद करती थी। पूजा-पाठ की तो वो बचपन से ही शौक़ीन थी। उस दिन भी पूजा करने गयी थी पर उसकी ये दुर्दशा हो गयी, अब तो भगवान से भी भरोसा उठ गया," ये कहते हुए वो रो पड़ीं।

मंदिर परिसर में दरिंदगी का शिकार हुई आंगनबाड़ी सहायिका ससुराल और मायका दोनों तरफ से बेहद गरीबी का सामना कर रहा था। मृतका की मां महज 28 साल की उम्र में विधवा हो गईं थीं, इनके पास खेती के लिए एक इंच भी जमीन नहीं थी। इनकी चारों बेटियां छोटी-छोटी थीं, मृतका दूसरे नम्बर की थी। इन्होंने दूसरे के खेतों में मेहनत मजदूरी करके, भैंस पालकर अपनी सभी बेटियों को पढ़ाया।

आग सेंकते मृतका के पति. फोटो : नीतू सिंह 

"जब मेरे पति मरे थे तब घर में बहुत गरीबी थी, सबसे छोटी बेटी पैदा ही हुई थी तभी ये बीमारी में चल बसे। मजदूरी करते थे, भैंस पाल ली थी, बटाई पर खेती कर लेते थे। मेरी बेटियां जब स्कूल से आती थीं तब वो भी खेत में काम करने जाती थीं, ऐसे ही सबको पाला-पासा और कम उम्र में ही सबकी शादी कर दी," मुफलिसी में जिंदगी जी रही माँ ने आपबीती बताई।

जिस गाँव में तीन जनवरी 2021 को एक 40 वर्षीय आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप करके हत्या कर दी गयी उसी गाँव में मृतका का मायका है जहाँ केवल मृतका की बुजुर्ग माँ रहती हैं।

"मेरी बेटी पूजा के बहाने हर रविवार को मुझसे मिलने आती थी और रात में मेरे पास ही रह जाती थी। अपने सुख-दुःख बताती थी, जब इस रविवार नहीं आयी तो मुझे लगा कि कुछ काम लग गया होगा, कभी-कभी काम की वजह से हर बार (रविवार) नहीं आ पाती थी। बुढ़ापे में मेरी जरुरत का सामान लाती थी, खर्चे के लिए भी थोड़ा बहुत पैसा दे देती थी," चारपाई पर बैठी ये माँ रुंधे गले से अपनी बेटी को याद कर रही थी। 

महिला की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में इस केस में लापरवाही करने वाले तत्कालीन इंस्पेक्टर राघवेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ धारा 166 एसी  के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। निर्भया कांड के बाद इस धारा के तहत दो साल की सजा का प्रावधान है।

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