बासमती धान में भारत की बादशाहत खतरे में, चावल हो सकता है महंगा

Update: 2017-10-02 19:41 GMT
भारत में इस साल बासमती की खेती की कम बुवाई होने से बासमती चावल घटने की संभावना है।

लखनऊ। बासमती धान की खेती में दुनिया का सिरमौर भारत में इस साल बासमती की खेती की कम बुवाई होने से बासमती चावल घटने की संभावना है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानि एपीडा की हालिया बासमती सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले खरीफ सीजन 2016 की तुलना में इस बार के खरीफ सीजन-2017 में पूरे देश में बासमती धान की बुवाई के क्षेत्रफल में 7.92 प्रतिशत की कमी है। पिछले सीजन में 1688.8 हजार हेक्टेयर में बासमती की खेती हुई थी वहीं इस साल 1555.0 हजार हेक्टेयर में खेती हुई है।

एपीडा के सलाहकार विनोद कुमार कौल ने बताया '' बासमती धान के मुख्य उत्पादक राज्यों हरियाण, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमांचल प्रदेश और दिल्ली जैसे प्रदेशों में बासमती धान की खेती घट गई है। बासमती उत्पादक क्षेत्रों में मानसून की बारिश सामान्य से भी कम हुई है इसका भी बासमती की खेती पर असर पड़ा है। ''

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भारत बासमती चावल में विश्व बाज़ार का अग्रणी निर्यातक है। देश ने वर्ष 2016-2017 के दौरान विश्व को 21,604.58 करोड़ रुपए (यानि 3,230.24 अमेरिकी मिलियन डॉलर) मूल्य का 40,00,471.56 मीट्रिक टन बासमती चावल निर्यात किया था जिसमें प्रमुख रूप से सउदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, इराक और कुवैत में बड़ी मात्रा में बासमती चावल गया था। ऐसे में इस सला बासमती धान की खेती और पैदावार घटने से चावल के निर्यात पर असर पड़ेगा।

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एपीडा के बासमती सर्वे रिपोर्ट के अनुसार इस साल के खरीफ सीजन में जहां धान के मुख्य उत्पादक राज्यों में धान की खेती में लगभग तीन प्रतिशत की गिरावट आई है वहीं बासमती के चावल की खेती में लगभग 8 प्रतिशत की कमी आई है। बासमती धान की खेती में देश के नंबर वन राज्य हरियाणा में सबसे ज्यादा गिरावट है। पिछले साल की तुलना में वहां पर इस साल 9.30 प्रतिशत कम बासमती की खेती हुई है, वहीं पंजाब में 8.84, उत्तर प्रदेश में 3.76, उत्तराखंड में 2.43, जम्मू-कश्मीर में 2.09, हिमांचल प्रदेश में 1.25 और दिल्ली में 2.67 प्रतिशत कम बुवाई हुई है।

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भारत सरकार के बीज अधिनियम तहत वर्ष 1966 से अभी तक बासमती चावल की 29 किस्में खेती के लिए अधिसूचित की गई हैं। जिनका देश के 7 राज्यों के लगभग 81 जिलों में खेती की जाती है। बासमती चावल की प्रमुख किस्में में बासमती 217, बासमती 370, टाइप 3 (देहरादूनी बासमती) पंजाब बासमती 1 (बउनी बासमती), पूसा बासमती 1, कस्तूरी, हरियाणा बासमती 1, माही सुगंधा, तरोरी बासमती (एच.बी.सी 19/ करनाल लोकल), रणबीर बासमती, बासमती 386, इम्प्रूव्ड पूसा बासमती 1 (पूसा 1460), पूसा बासमती 1121 (संशोधन के पश्चात्), वल्लभ बासमती 22, पूसा बासमती 6 (पूसा 1401), पंजाब बासमती 2, बासमती सी.एस.आर 30 (संशोधन के पश्चात्), मालविया बासमती धान 10-9 (आई.ई.टी 21669), वल्लभ बासमती 21 (आई.ई.टी 19493), पूसा बासमती 1509 (आई.ई.टी 21960), बासमती 564, वल्लभ बासमती 23, वल्लभ बासमती 24, पूसा बासमती 1609, पंत बासमती 1 (आई.ई.टी 21665), पंत बासमती 2(आई.ई.टी 21953), पंजाब बासमती 3, पूसा बासमती 1637 और पूसा बासमती 1728 जिनकी खेती की जाती है।

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बासमती लंबा एवं सुगंधित चावल है जो भारतीय उप महाद्वीप के हिमालय की पहाड़ियों के विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में कई सदियों से उगाया जा रहा है। बासमती धान का चावल लंबा और पतला होता है। इसकी विशेषता यह है कि पकाने पर यह अपने मूल आकार से दोगुना हो जाता है। यह मुलायम और सुगंधित होता है।

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एपीडा की बासमती सर्वे रिपोर्ट-2017 देश के सात राज्यों के 81 में से 78 जिलों में जाकर किसानों और कृषि विशेषज्ञों से बात करके यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

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