शौचालय न होने पर पत्नी के साथ ससुराल जाना छोड़ा

पहले अपनों को किया जागरूक, अब घर-घर बनवा रहे शौचालय

Update: 2018-10-10 13:52 GMT

लखनऊ। स्वच्छाग्रही रामकुमार  को जब मालूम चला कि उनके ससुराल में शौचालय नहीं है और लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं तो ससुराल में शौचालय न बनने तक रामकुमार ने अपनी पत्नी के साथ ससुराल जाना छोड़ दिया।

स्वच्छाग्रही रामकुमार  लखीमपुर खीरी जिले के बांकेगंज ब्लॉक के रहने वाले हैं। रामकुमार स्वच्छाग्रही के तौर अब तक 35 ग्राम पंचायतों में करीब 2000 शौचालयों का निर्माण करवा चुके हैं। रामकुमार वर्ष 2016 में स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े हैं।


खुले में शौच को रोकने के लिये रामचंद्र को अपने कई रिश्तेदारों के खिलाफ भी खड़ा होना पड़ा।रामकुमार फोन पर बताते हैं, "मेरे घर मे बहुत पहले से शौचालय है और सभी इसका इस्तेमाल भी करते हैं। शादी के बाद मुझे मालूम चला कि ससुराल में शौचालय नहीं है। ऐसे में मैंने अपनी पत्नी के साथ शौचालय न बन जाने तक ससुराल जाना तक छोड़ दिया।"

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रामकुमार बताते हैं, "जब मैं स्वच्छाग्रही बना तो उस दौरान मुझे अपने ही लोगों से लड़ाई लड़नी पड़ी। मैंने गाँव में शौचालय बनवाने का काम शुरू किया, उस समय गाँव के कुछ दबंग लोगों ने मुझे धमकी दी कि मैं ऐसा न करूं। उन लोगों का मानना था कि खुले में शौच करने कि परम्परा पुरखों से चली आ रही है, अगर लोग शौचालयों का प्रयोग करेंगे तो यह उनके परम्परा के खिलाफ होगा।"

उन्होंने बताया, "इसके बावजूद मैंने ग्रामीणों को जागरूक किया और उन्हें बताया कि खुले में शौच जाने से आपको कैसी-कैसी बीमारियां होती हैं। मैं और मेरी टीम ने गाँव में चौपाल लगाकर लोगों को जागरूक किया। धीरे-धीरे बदलाव हुआ और लोगों ने अपने घर में शौचालय बनवाए। स्वच्छता के इस मिशन में मेरी पत्नी सरोजनी देवी भी आज मेरा पूरा साथ दे रही हैं।"

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रामकुमार आगे बताते हैं, "मेरे बहन के घर में भी शौचालय न होने पर मैंने उसे रक्षाबंधन के अवसर पर शौचालय बनवाने का वादा किया,जिस पर अभी काम हो रहा है। मेरी पत्नी ने भी अपने भाईयों से कहा कि अगर आप भी रक्षाबंधन पर मुझे कुछ देना चाहते हैं तो आपअपने घर में शौचालय बनवा दें। इस बात के कुछ दिनों के बाद ही मेरी पत्नी के घर वालो ने फोन पर हमें बताया कि उनके घर परशौचालय का निर्माण कराया जा रहा है।"

स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अब तक 97.05 प्रतिशत क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हो चुका है, जबकि लखीमपुर में करीब 97.71 प्रतिशत तक के क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त है।

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रामकुमार बताते हैं, " इस अभियान से जुड़ने के बाद मैं और मेरी पत्नी स्वच्छता को लेकर और भी सजग रहने लगे हैं। अब हम अगर कहीं पर भी जाते हैं तो सबसे पहले यह सुनिश्चित करते हैं कि वहां शौचालय है अथवा नहीं।"

पत्नी ने भी उठाई आवाज

रामकुमार की पत्नी सरोजनी देवी बताती हैं, "अपने पति के साथ स्वच्छता अभियान से जुड़ने के बाद मैंने भी स्वच्छता के महत्व को जाना। मेरे मायके में शौचालय न होने के कारण लगभग एक वर्ष से मैं खुद मायके नहीं गई हूं। मैंने अपने मायके में रह रही औरतों से भी कहा कि उन्हें भी इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिये और विरोध में कुछ दिन खाना बनाना बंद कर देना चाहिए। मेरे कई बार कहने पर मेरे घर में शौचालय का बनना शुरू हो गया है।" 

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