यूपी : बाढ़ को लेकर खतरे में 38 जिले और 30 बांध , नेपाल के 2 बांध बढ़ा सकते हैं समस्या

Update: 2017-07-17 17:04 GMT
बाराबंकी जिले के एक गांव में भरे पानी के बीच सुरक्षित स्थान को जाते ग्रामीण। फोटो- प्रमोद अधिकारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रदेश के 38 जिलों और 28 बांधों को सरकार ने अतिसंवेदनशील घोषित किया है। दो बांध नेपाल में हैं, जिनको राज्य सरकार की ओर से संवेदनशील के दायरे में लाया गया है। माना जा रहा है जैसे-जैसे मानसून तेज होता जाएगा बाढ़ का खतरा बढ़ता जाएगा।

योगी सरकार ने बारिश से पहले ही बाढ़ नियंत्रण को लेकर इन क्षेत्रों में करीब 31 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस वजह से शुरुआत में यहां बाढ़ का खास असर देखने को नहीं मिला है मगर अब जैसे जैसे मानसून तेजी पकड़ेगा, खतरे की आशंका बढ़ती जाएगी, जिसके मुताबिक अब योजना बनाई जा रही है। कई जगह बांधों और चेकडैमों में गड़बड़ियों के मामले भी सामने आ रहे हैं, जिसको लेकर सरकार की ओर से सीधा निर्देश जारी किया गया है कि बाढ़ संबंधित मामलों में जहां से भी शिकायतें आएंगी संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

लखीमपुर, गोंडा, बाराबंकी समेत कई जिलों में घाघरा का पानी सैकड़ों गांवों में घुस चुका है। तो महाराजगंज, बहराचइ, श्रावस्ती और गोरखपुर में तबाही लाने वाली बाढ़ को लेकर नेपाल के दो बांधों को राज्य सरकार ने अतिसंवेदनशील के दायरे में ला दिया है। इन बांधों से छोड़े जाने वाले पानी को लेकर कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार अब विदेश मंत्रालय की मदद से नेपाल से बातचीत शुरू करेगी। ताकि इन बांधों सेपानी छोड़े जाने को लेकर यूपी सरकार को पूर्व सूचना मिल सके।

सरकार इन बंधों के बारे में पूरी तरह संवेदनशील है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में बाढ़ संरचनाओं तटबंधों एवं कटाव को रोकने के लिए मरम्मत के लिए प्रभावी कदम उठाये गये हैं। बाढ़ अनुरक्षण के अन्तर्गत 5 माह के लिए 30.25 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं।
धर्मपाल सिंह, सिंचाई मंत्री, उत्तर प्रदेश

गांवों में अब नाव ही एक मात्र सहारा।


राज्य के सिंचाई मंत्री धर्मपाल मलिक ने बताया, “28 बंधों को अतिसंवदेनशील चिन्हित किया गया है। महराजगंज सिंचाई विभाग से जुड़े नेपाल के जनपद नवलपरासी में स्थित बी. गैप बाँध एवं नेपाल बांध भी अतिसंवेदनशील बन्धे की श्रेणी में आते हैं, क्योंकि इन बंधों पर बाढ़ की संवेदनशील स्थिति में महराजगंज, गोरखपुर एवं कुशीनगर जनपद प्रभावित होते हैं। इन बांधों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश स्तर पर 30 बांधों को अति संवेदनशील माना गया है।”

वो आगे बताते हैं, “सरकार इन बंधों के बारे में पूरी तरह संवेदनशील है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में बाढ़ संरचनाओं तटबंधों एवं कटाव को रोकने के लिए मरम्मत के लिए प्रभावी कदम उठाये गये हैं। बाढ़ अनुरक्षण के अन्तर्गत 05माह के लिए 30.25 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं।”

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मुख्य अभियंता/संगठन अनुसार गण्डक-गोरखपुर को 560 लाख रुपये, रामगंगा-कानपुर को 30 लाख रुपये, पूर्वीगंगा-मुरादाबाद को 160 लाख रुपये, मध्य गंगा-अलीगढ़ को 20 लाख रुपये, शारदा सहायक को 230 लाख रुपये, शारदा लखनऊ को 204 लाख रुपये परियोजना बेतवा-झांसी को30 लाख रुपये, सरयू परियोजना प्रथम फैजाबाद को 130 लाख रुपये, यमुना-ओखला को140 लाख रुपये, गंगा-मेरठ को 50 लाख रुपये, सोन-वाराणसी को 90 लाख रुपये तथा अनु.-एवं नियो.(बाढ़) लखनऊ को 20 लाख रुपये धनराशि प्राधिकृत की गयी है।

उन्होंने जानकारी दी कि लेखानुदान की शेष धनराशि 1361 लाख रुपये तटबंधों की संवदेनशीलता को देखते हुए आगामी वर्षा से पूर्व तथा वर्षा के दौरान क्षेत्रीय मुख्य अभियंताओं की मांग के आधार पर आवंटित किये जाने की कार्यवाही की जा रही है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने अवगत कराया कि सहारनपुर जिले में बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील 13 बरसाती नदियों पर एक कार्य योजना भी तैयार की गयी है इसके लिए 863.55 लाख रुपये की धनराशि अनुमोदित की गयी है।

गोंडा जिले में भारी बारिश के बीच अपने घर को सुरक्षित करने में जुटे ग्रामीण। फोटो- अशोक दत्ता

बाढ़ ग्रस्त इलाकों में मंत्री और अधिकारी लगातार दौरे भी कर रहे हैं। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह ने पिछले दिनों बाराबंकी और गोंडा में घाघरा का दौरा किया था। उन्होंने बताया, प्रदेश में बाढ़ से 38 जनपद प्रभावित होते हैं,जिनमें पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, बहराइच, बाराबंकी, गोण्डा, फैजाबाद,अम्बेडकरनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, कुशीनगर,गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बदायूँ, शाहजहाँपुर, कासगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज,गाजीपुर, उन्नाव, बुलन्दशहर, लखनऊ, बरेली, बिजनौर, बांदा, सहारनपुर, मुजफ्फरपुर,शामली, गौतमबुद्धनगर, फर्रूखाबाद, रामपुर, हरदोई तथा अलीगढ़ जनपद शामिल हैं।”

बाढ़ के दौरान पशुओं के लिए चारा बड़ी समस्या बनती है।

बाढ़ का मुद्दा पिछले दिनों विधानसभा में सत्र के पहले दिन भी उठा था। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला था, जिसके जवाब आगे आकर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब देते हुए सरकार का पक्ष रखा था, उन्होंने इस बदहाली के लिए पूर्व सरकारों ने लापरवाही जिम्मेदार बताया था।

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