सोशल मीडिया पर 150 यूजर्स की करतूत STF के रडार पर, होगी जेल

Update: 2017-12-08 00:25 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर 

गाँव कनेक्शन संवाददाता

लखनऊ। यूपी एसटीएफ ने सोशल मीडिया पर धार्मिक उन्माद फैलाने और प्रदेश का माहौल खराब करने वाले 150 यूजर्स को चिन्हित किया है। यह यूजर्स लगातार सोशल नेटवर्किग साइट्स पर धार्मिक पोस्ट और अन्य आपत्तिजनक वस्तुओं को सांझा करने का लगातार कार्य कर रहे हैं। उनकी इस करतूत को एसटीएफ की साइबर स्पेस मॉनिटरिंग सेल लंबे समय से नजर बनाये हुए है।

एसटीएफ में एएसपी व साइबर सेल नोडल ऑफिसर त्रिवेणी सिंह के मुताबिक, "पूरे राज्य में 150 से अधिक ऐसे युवा हैं, जो कि सांप्रदायिक माहौल खराब करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। यह लोग फेसबुक, ट्विटर और वाट्सएप पर समुदाय विशेष को उत्तेजित करने के लिए धार्मिक पोस्ट को बढ़ावा दे रहें हैं। यह सभी यूजर्स सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट पर टिप्पणी और शेयर कर प्रदेश का शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।  इन यूजर्स की सभी गतिविधियों की निगरानी एसटीएफ की साइबर स्पेस सेल लगातार कर रही है।

उन्होंने कहा कि, 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की 25वीं बरसी के मद्देनजर पिछले कुछ हफ्तों से साइबर सेल की निगरानी तेज हो गई थी, जिसमें यह 150 यूजर्स एक्टिव पाये गए। एसटीएफ ने इस सिलसिलले में लखनऊ के बाजारखाला इलाके से विनीत अवस्थी उर्फ राजा को मंगलवार को एक आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया। सांप्रदायिक तनाव प्रदेश में न फैले इसके लिए पहली बार एसटीएफ ने धार्मिक भावनाओं को भड़काने वालों के खिलाफ स्वयं संज्ञान लेकर कार्रवाई की है। त्रिवेणी सिंह की माने तो, भविष्य में भी इस तरह के यूजर्स की गिरफ्तारी होगी, जिससे प्रदेश में सोश्ल मीडिया पर उन्माद फैलानों वालों पर अंकुश लगाया जा सके।

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त्रिवेणी सिंह ने कहा कि, साइबर स्पेस मॉनिटरिंग सेल ने फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट देखकर संबंधित एकाउंट ब्लाक करवाया, जिसके बाद फेसबुक अकाउंट होल्डर के आईपी एड्रेस को ट्रैक कर आईपीसी सेक्शन 295-ए के तहत आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। साथ ही धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए 153-ए के तहत अपमानित करने का इरादा पाया गया।

एएसपी त्रिवेणी सिंह ने कहा कि, साइबर सेल कुछ अन्य लोगों पर निगरानी रखे हुए है, जो सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को पसंद और टिप्पणी करते हैं। साथ ही कई अन्य फेसबुक अकाउंट्स, ट्विटर हेन्डल्स और लिंक्डइन पर एसटीएफ निगरानी रखे हुए है। इस कार्य को करने के लिए एसटीएफ साइबर स्पेस मॉनिटरिंग सेल में दो सीओ, पांच इंस्पेक्टर और 20 हेड कांस्टेबल हैं, जिनमें लखनऊ और नोएडा में कम से कम 27 सदस्य शामिल हैं। यह सभी लोग सोशल साइट्स पर निगरानी का काम पूरी निष्ठा और कर्मता से करते हैं।

एएसपी त्रिवेणी सिंह ने कहा कि, साइबर स्पेस मॉनिटरिंग सेल प्रदेश में सोशल मीडिया पर आतंकवादी समूहों के कट्टरपंथ विचारधारा को पसंद करने वाले युवाओं की जानकारी दूसरी जांच एजेंसियों से सांझा करने का भी कार्य करती है। क्योंकि ज्यादातर आतंकवादी संगठन ऑन-लाइन गतिविधियों के जरिए ही युवाओं के अंदर जिहाद उत्पन्न कर उन्हें अपने झांसे में लेने का कार्य कर रहे हैं।

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क्या है सोशल मीडिया

सोशल मीडिया एक अपरंपरागत मीडिया है। यह एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है, जिसे इंटरनेट के माध्यम से पहुंच बना सकते हैं। सोशल मीडिया एक विशाल नेटवर्क है, जो कि सारे संसार को जोड़े रखता है। यह संचार का एक बहुत अच्छा माध्यम है। यह तेज गति से सूचनाओं के आदान-प्रदान करने, जिसमें हर क्षेत्र की खबरें एक दूसरे तक चंद सेंकड में आसानी से भेजने का कार्य करता है।

वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया सकारात्मक भूमिका भी अदा करता है, जिससे किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश आदि को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया के जरिए ऐसे कई विकासात्मक कार्य हुए हैं जिनसे कि लोकतंत्र को समृद्ध बनाने का काम हुआ है जिससे किसी भी देश की एकता, अखंडता, पंथनिरपेक्षता, समाजवादी गुणों में वृद्धि हुई है।

क्या होती है भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-153 ए और 295 ए

आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। धारा 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है। वहीं धारा 295 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है जो कोई किसी उपासना स्थान को या व्यक्तियों के किसी वर्ग द्वारा पवित्र मानी गई किसी वस्तु को नष्ट, नुकसानग्रस्त या अपवित्र इस आशय से करेगा कि किसी वर्ग के धर्म का तद्द्वारा अपमान किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि व्यक्तियों का कोई वर्ग ऐसे नाश, नुकसान या अपवित्र किए जाने को वह अपने धर्म के प्रति अपमान समझेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

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