आलू किसानों को मिली बड़ी राहत, सरकार अपने खजाने से खर्च करेगी 100 करोड़ रुपए

Update: 2017-07-18 20:06 GMT
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के छह लाख आलू किसानों को राज्य सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। प्रदेश के आलू किसानों को सरकार ने '' परिवहन भाड़ा अनुदान '' देने का फैसला किया है। मंगलवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री ने घोषणा कि प्रदेश के आलू किसान 300 किलोमीटर से अधिक दूरी या दूसरे राज्यों में आलू बेचने के लिए जाएंगे तो 50 रुपए प्रति कुंतल की दर से या कुल परिवहन खर्च का 25 प्रतिशत सरकार राज्य सरकार देगी। आलू किसानों को जो मंडी शुल्क देना पड़त है उसमे भी राहत देते हुए सरकार ने मंडी में छूट देगी। सरकार इसके लिए अपने खजाने से 100 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

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आलू किसानों को सरकार की इस सुविधा का लाभ लेने के लिए अपना खसरा- खतौनी की सत्यापित प्रति, आलू बेचने के लिए परिवहन बुकिंग की प्रति और जिस कोल्ड स्टारेज से आलू की निकासी हुई है उसकी रसीद रखना अनिर्वाय होगा। इन सभी प्रतियों को मंडी समिति के कार्यालय में प्रस्तुत करने के बाद किसानों को सरकार की तरफ से दिए जाने वाले परिवहन भाड़ा अनुदान का डिजिटल पेमेंट हो जाएगा।

राज्य में आलू के व्यापार और विपणन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने मंडी परिषद में 1000 टन आलू की खरीद-बिक्री के लिए अस्थायी शेड बनाने का निर्देश दिया गया है। प्रदेश में आलू के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हाफेड, मंडी समिति और एपीडा को प्रमुख आलू उत्पादक और भंडारण वाले क्षेत्रों में बायर-सेलर मीट आयोजन करने का निर्देश दिया गया। ऐसे होने पर उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाले आलू की देश-दुनिया के बाजारों में ब्राडिंग हो सके।

आलू के साथ किसान।

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राज्य के जो आलू उत्पादक किसान और व्यापारी अपने आलू को बाहर बेचना चाह रहे हैं लेकिन अभी आलू निर्यातक संस्था पोटैटो एक्सर्ट्स फैसिलिटेशन सोसाइटी के सदस्य नहीं है उन्हें इसकी सदस्यता देने का निर्देश दिया गया है।

उत्तर प्रदेश में इस साल 155 लाख मिट्रिक टन आलू पैदा हुआ है। जिसमें से लगभग 110 लाख मिट्रिक टन आलू प्रदेश के निजी कोल्ड स्टोरेज में जमा है। बाकी का आलू भंडारण और निर्यात की सुविधा नहीं होने से किसान औने-पौने दाम में आलू बेचने पर मजबूर हैं। ऐसे में सरकार की इस घोषणा से आलू किसानों को लाभ मिलेगा।

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