राजस्थान के इस युवक ने किसान और बाजार के बीच खत्म कर दिए बिचौलिए

Neetu Singh | Oct 27, 2017, 08:47 IST
India
लखनऊ। “खेती में हुए घाटे के नुकसान की वजह से कई अपनों को बहुत करीब से जहर खाकर मरते देखा था। अगर किसानों की लागत कम होगी तो उसके ऊपर कर्ज नहीं होगा और किसानों को मरना नहीं पड़ेगा, मैं किसानों की लागत कम करने का प्रयास कर रहा हूँ।” ये कहना है उस युवा का जिसने ये ठान लिया है कि उसे जैविक तरीके से खेती कराकर किसानों की लागत कम करवानी है।

पवन कुमार टाक (24 वर्ष) ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, “एक बार अस्पताल में एडमिट हुई एक लड़की ने घर में आपसी विवाद में मामूली सी कीटनाशक दवाई पी ली थी। कुछ एमएल दवाई पीने से वो बुरी तरह तड़प रही थी। मैंने सोचा अगर इंसान पर इन दवाइयों का इतना असर पड़ता है, तो मिट्टी पर कितना पड़ता होगा। उसी समय से मैंने ये ठान लिया था कि कुछ भी हो जाये इस जहरीली होती मिट्टी को मुझे बचाना है।” पवन कीटनाशक दवाइयों और खादों की वजह से जहरीली हो रही खेती के लिए चिंतित थे। पवन कुमार टाक किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देने वाले कृषि विभाग की तरफ से चयनित युवा कृषि वैज्ञानिक हैं। जिनकी कोशिश है कि किसान बाजार से खरीदे कम और बेचे ज्यादा।



राजस्थान का पहला जैविक जिला है डूंगरपुर एग्रीकल्चर से स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई करने के बाद पवन ने परम्परागत खेती के बारे में लंबे समय तक शोध किया। इन्होंने शुरुआत अपने घर के खेतों की लागत कम करने से की, इसके बाद ये किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देने लगें। पवन साल 2015 से अन्तराष्ट्रीय स्तरीय संस्थान इंटरनेशनल हार्टीकल्चर इनोवेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर दुर्गापुरा, जयपुर में जैविक खेती के प्रशिक्षक हैं। पूर्व में ये इस केंद्र के द्वारा संचालित झालावाड़ दम्पति कृषक मॉडल जिसे यहां की मुख्यमंत्री द्वारा पूरे राज्य में घोषित कर दिया गया है। वहां पर ये मुख्य प्रबंधन की भूमिका भी निभा चुके हैं। इस समय पवन राजस्थान के प्रथम जैविक जिले डूंगरपुर में मुख्य प्रशिक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस युवा वैज्ञानिक द्वारा सैकड़ों कृषक दम्पतियों को प्रशिक्षित किया गया है। इन्होंने किसानों के हित के लिए एक किताब 'जैविक खेती की समग्र अवधारणा' 200 पेज की लिखी है। जिसमें किसानों को परम्परागत खेती के तौर-तरीके बताए गए हैं। इस किताब में इन्होनें किसानों के साथ अपने छह साल के अनुभवों को साझा किया है।



दिवाली पर रसायन मुक्त बनाई थी जीवंत रंगोली राजस्थान के जोधपुर जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर पूरब दिशा में एक छोटी बस्ती ‘ढाडी’ में पवन पले-बढ़े हैं। पवन का कहना है, “किसान जैसे पहले खेती करते थे वैसे ही खेती करें, अब जैविक खेती करने के कई वैज्ञानिक तरीके हैं, जिसे अपनाकर किसान अपनी लागत कम करने के साथ ही अच्छी उपज ले सकते सकते हैं। किसान अपनी उपज का कच्चा माल बेंचने की बजाए उसके कई उत्पाद बनाकर बेचें जिससे उन्हें भाव अच्छा मिलेगा।” वो आगे बताते हैं, “इस दिवाली पर मैंने बिना कैमिकल के हरे पौधों से रंगोली बनाई थी, और सभी से ये अपील की थी कि कोई भी किसान कभी भी रसायन और कीटनाशक का प्रयोग न करें। इससे खेतों की मिट्टी तो स्वस्थ्य रहेगी ही साथ ही किसानों की लागत भी कम होगी। हमारी कोशिश रहती है किसान बाजार से खरीदें कम और बेंचे ज्यादा जिससे उनके घर में खुशहाली आये और वो कर्ज मुक्त हों।”



खेतों में जाकर बारीकियों को समझता ये युवा वैज्ञानिक। इस युवा वैज्ञानिक के द्वारा पूरे राज्य में हजारों किसान जैविक खेती कर रहे हैं। इनके शोध किये कई देशी तरीके हैं जिससे किसान अपनी लागत को कम कर सकते हैं। पवन ने जैविक प्रशिक्षक बनने से पहले 45 दिन देश की नामी कम्पनी जो कि कीटनाशक बनाती है उसमे काम किया है। उस कम्पनी में काम करने को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, “डीलर को बड़े-बड़े सपने दिखाए जाते हैं कि वो जितना लीटर केमिकल बेचेंगें उन्हें उतना अच्छा तोहफा मिलेगा। अच्छे तोहफे के चक्कर में डीलर किसानों को हजारों लीटर जहर बेचते हैं।”

राजस्थान की दम्पति योजना है मशहूर

यहाँ की दम्पति योजना में महिला और पुरुष खेती किसानी की ट्रेनिंग एक साथ लेने आते हैं। एक खेत में टेंट बनाया जाता है जहाँ पर इनके रहने-खाने का पूरा इंतजाम किया जाता है। पवन बताते हैं, “हम सिर्फ पुरुष किसान को ही बढ़ावा नहीं देते हैं। महिलाएं भी खेती की नई तकनीकि को जानें ये हमारी कोशिश रहती है। यहाँ की दम्पति योजना पूरे राज्य में बहुत अच्छा काम कर रही है।”



राजस्थान की दम्पति योजना में जैविक खेती के गुर सीखते दम्पति

किसान बाजार से नहीं खेती से रिश्ता जोड़े

अगर सभी चीजें बाजार से आती रहेंगी तो किसान कभी आगे नहीं बढ़ पायेगा। कच्चे माल का बाजार में भाव नहीं मिलता है इसलिए किसान गेंहूँ को सीधे बेंचने के बजाए आटा बेंचे, बिस्किट बनाएं। फलों और सब्जियों से अचार और मुरब्बा बनाएं, फूलों से माला बनाकर बेचे जिससे किसानों को अच्छा भाव मिलेंगा। खेती में बोने वाले बीज, खाद, कीटनाशक दवाईंयां किसान खुद बनाए पवन प्रशिक्षण में ये सब बनाना बताते हैं। पवन ने उन प्रजातियों को भी जैविक तरीके से अच्छा उत्पादन लिया है जिसमें लोगों का दावा है कि ये जैविक तरीके से नहीं ली जा सकती हैं जिसमे शिमला मिर्च और खीरा मुख्य है।



जैविक खड़ा बनाने के तरीके बताते पवन।

ये हैं कुछ जैविक खादें

पवन किसानों को कई तरह की जैविक खाद बनाना सिखाते हैं। जिसमे ये जीवामृत, बीजामृत, नीमअर्क, वर्मी वाश, टी-कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, लाल मिर्च अर्क, दूध-हल्दी अर्क, पांच पत्तियों का काढ़ा, लहसुन घोल, राख व कम्पोस्ट मिश्रण, ताम्रयुक्त छाछ आदि को बनाने के आसान तरीके बताते हैं।

रसचूसक कीटों के निजात के लिए लाल मिर्च पाउडर 300 ग्राम, तीन किलोग्राम ग्वार पाठा का जूस, 10 लीटर गोमूत्र, 100 लीटर पानी में छिड़कने से रसचूसक कीट समाप्त हो जाते हैं। पवन का मानना है कि मिर्च में केप्सेथिन एल्केलाईड की उपस्थिति के कारण 16 प्रकार के हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने की क्षमता होती है।



किसान बाजार से खाद न खरीदे बल्कि खुद बनाए ये है इनकी कोशिश खेत के किनारे-किनारे कई तरह के पेड़-पौधे लगे हों जिससे जैव विविधता बनी रहती है, और इन पेड़ों से किसानों की आय भी बढ़ती है। इन पेड़ों पर रात में विचरण करने वाले पक्षियों से जो बीट निकलती है वो खेतों में खाद का काम करती है। गोबर, गोमूत्र, दूध से कई तरह की खादें बनाई जाती हैं।

ये भी पढ़ें-- जैविक खाद बेचकर आत्मनिर्भर बनीं महिलाएं

सब्जियों के इस गांव में महिला किसान मजदूरी नहीं, करती हैं खेती और निकालती हैं सालभर का घर खर्च

जौनपुर गाँव की महिला किसान खेती में करती हैं मटका खाद का प्रयोग

आपने महिला डॉक्टर, इंजीनियर के बारे में सुना होगा, अब मिलिए इस हैंडपंप मैकेनिक से

तानों की परवाह न कर प्रेरणा ने खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

डकैत ददुआ से लोहा लेने वाली ‘शेरनी’ छोड़ना चाहती है चंबल, वजह ये है

आदिवासी समुदाय पर होने वाले अन्याय के खिलाफ प्रधान बनकर उठाई आवाज़मशरुम गर्ल ने उत्तराखंड में ऐसे खड़ी की करोड़ों रुपए की कंपनी, हजारों महिलाओं को दिया रोजगार

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Tags:
  • India
  • agriculture
  • Subsistence Agriculture
  • organic forming
  • formar

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.