लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हर जिले में आपकी सखी आशा ज्योति केंद्र एवम महिला हेल्पलाइन 181 के विस्तार होने से महिलाओं और किशोरियों की जिन्दगी आसान हो गयी है। ग्रामीण क्षेत्र की जो महिलाएं पहले सालों साल पिटने के बाद भी घरों में चुप्पी साधे रहती थी। महिला हेल्पलाइन 181 आने से इन महिलाओं में अब अपनी बात कहने की हिम्मत आ गयी है, अब ये घर बैठे सीधे 181 पर फोन करके शिकायत दर्ज कराने लगी हैं।
फरवरी महीने में लखनऊ के कृष्णानगर कोतवाली में एक पिता अपनी 15 साल की बेटी के साथ पांच महीने से रेप कर रहा था। पीड़िता की माँ ने 181 पर फ़ोन करके मदद की गुहार लगाई। तत्काल प्रभाव से आशा ज्योति केंद्र की टीम मदद के लिये आगे आयी, आरोपी को गिरफ्तार किया गया। अगस्त महीने में आगरा में एक 22 वर्षीय युवती पारिवारिक विवाद से ऊबकर आत्महत्या करने जा रही थी, किसी अजनबी ने 181 पर काल करके उसकी जान बचायी।
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अमेठी जिले में पिछले महीने एक 14 वर्षीय लड़की को बेच दिया गया था, आशा ज्योति केंद्र की टीम ने उस लड़की को रेस्क्यू करके शिशु गृह में भेज दिया। महिला हेल्पलाइन 181 से प्रदेश के ये सिर्फ तीन मामले हल नहीं हुए हैं बल्कि हर दिन इस तरह के सैकड़ों केस हल किये जाते हैं। इस हेल्पलाइन का मुख्य उद्देश्य है कि किसी भी पीड़ित महिला को थाने और कोर्ट के चक्कर न काटने पड़े। पीड़ित महिला की सिर्फ एक काल्स पर घर बैठे उसकी समस्या को आसानी से निपटा दिया जाए।
महिला हेल्पलाइन 181 की शुरुआत आठ मार्च 2016 को छह सीटर से प्रदेश के 11 जिलों के ‘आपकी सखी आशा ज्योति केंद्र’ से हुई थी। प्रदेश की हर महिला सुरक्षित रहे इसे ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास कल्याण विभाग की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने 23 जून 2017 को हरी झंडी दिखाकर पूरे प्रदेश में आपकी सखी आशा ज्योति केन्द्र और 181 को छह सीटर से 30 सीटर कर दिया है। अब 75 जिले में रेस्क्यू वैन है, 225 फील्ड काउंसलर और 90 टेली काउंसलर हैं। इस हेल्पलाइन पर अब महिलाएं खुलकर अपनी समस्या बताने लगी हैं। आठ मार्च 2016 से मई 2017 तक 14 महीनों में 181 पर 46392 प्रभावी काल्स दर्ज की गयी हैं।
जब इस योजना का विस्तार किया गया था तो उस कार्यक्रम में रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था, “ये हमारी 100 दिनों की सबसे अनूठी पहल है, वर्तमान में प्रदेश सरकार महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बेहद गम्भीर है, अब 181 की 30 सीटर कर कर दी गयी हैं 90 लोग रहेंगे, ये 24 घंटे चलने वाली सेवा है, प्रदेशभर से 181 पर जो कॉल आयेंगी उसे सम्बंधित जिले में मौजूद रेस्क्यू वैन को सूचित कर फील्ड काउंसलर उनकी मदद के लिए तत्पर रहेंगे, हर रेस्क्यू वैन में दो काउंसलर और एक महिला पुलिसकर्मी मौजूद रहेगी।” उन्होंने आगे कहा, “आठ मार्च 2016 को 181 की शुरुवात हुई थी इसमे जून 2017 तक कुल 30,993 महिलाओं की मदद की गयी, महिलाएं 181 पर नि:संकोच फोन करें उनकी हर संभव मदद की जायेगी।”
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महिला हेल्पलाइन पर काल करने वाली एक महिला ने बताया, “हमारे पति पांच महीने से हमारी बड़ी बेटी के साथ रेप कर रहे थे, उसे डरा कर रखा कि अगर किसी से कह दिया तो तुम्हे पागल खाने में छोड़ देंगे, जब ये बात मेरी बेटी ने मुझे बताई तो मुझे इस बात का डर था कि लड़की की बात है थाने जायेंगे तो सबको पता चल जाएगा, हमारी बदनामी होगी।” वो आगे बताती हैं, “किसी ने मुझे इस नम्बर के बारे में बताया और कहा यहाँ फोन करने से किसी को पता नहीं चलेगा, तब थोड़ी हिम्मत करके मैंने फोन किया, हमे और हमारी बेटी को न्याय मिला और पति को सजा हुई। प्रदेश की ये पहली महिला का केस नहीं है बल्कि ऐसे हजारों केसों को महिला हेल्पलाइन और आशा ज्योति केंद्र ने सुलझाया है।
जीवीके के मुख्य परिचालन अधिकारी जीतेन्द्र वालिया ने बताया, “महिलाएं अब निडर होकर 181 पर काल कर रही हैं, उन्हें पूरा भरोसा है कि हमारे केस को हल करने के लिए महिलाएं ही आयेंगी और ये कहीं न कहीं सीधे तौर पर सरकार से जुड़ी हुई हैं। आठ मार्च 2016 से 22 जून 2017 तक घरेलू हिंसा की जो 18 हजार काल्स थी वो 23 जून से 11 सितम्बर तक 33 हजार पहुंच गयी।” वो आगे बताते हैं, “अगर महिलाओं को बोलने का मौका मिले तो वो जरुर सामने आती हैं, 181 पर काल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही इसकी मुख्य वजह ये है कि हम 108 और 102 हेल्पलाइन का भी संचालन कर रहे हैं जिसकी वजह से प्रदेश की करीब डेढ़ लाख आशा बहुएं सीधे तौर पर हमसे जुड़ी हैं, हर गाँव में एक आशा बहु है, इन आशा बहुओं के साथ सप्ताह में दो बार मीटिंग की जाती हैं और उन्हें प्रेरित किया जाता है कि वो अपने गाँवों में महिलाओं को कोई भी परेशानी होने पर 181 हेल्पलाइन पर फोन करने की सलाह दें, इसका हमे बहुत लाभ मिल रहा है।”
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इस सेंटर पर टीम लीडर के पद पर कम कर रहीं रचना केसरवानी बताती हैं, “हर दिन छह हजार से ज्यादा काल्स आती हैं, जिसमे 400 काल्स प्रभावी काल्स होती हैं, प्रतिदिन 70 प्रतिशत काल्स को हल कर दिया जाता है, प्रदेश के हर जिले में प्रतिदिन रेस्क्यू वैन असाइन की जाती हैं।”
टेली काउंसलर नीरज कुमारी ने मुस्कुराते हुए बताया, “महिलाओं का इतना ज्यादा शोषण होता है ये हमने यहाँ पर काम करने के दौरान जाना है, किसी भी महिला या लड़की की काल आने पर सबसे पहले उन्हें हम विश्वास में लेते हैं जिससे वो अपनी पूरी बात सही-सही बता सकें, काल आते ही हमारी कोशिश रहती है कि हम दोनों पक्षों से बात करके उसे सुलझा दें।” वो आगे बताती हैं, “अगर केस टीम के पहुंचने पर ही हल होगा तो तुरंत उस जिले में 181 की रेस्क्यू वैन को आसाइन करते हैं, मामले की गम्भीरता के हिसाब से टीम तत्काल पहुंचकर केस को हल करने की कोशिश करती है।”
लखनऊ में बने आशा ज्योति केंद्र की सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना सिंह बताती हैं, “जबसे आपकी सखी केन्द्रों की शुरुआत हुई है तबसे महिलाएं खुलकर अपनी बात कह पा रही हैं, घरेलू हिंसा, रेप केस, दहेज प्रथा, बाल विवाह, प्रेम प्रसंग जैसे कई तरह के मामलों की शिकायतें 181 के जरिये हमे पता चलती हैं, शिकायत आने से लेकर मामले को निपटाने के बाद तक उनकी पहचान गोपनीय रखी जाती है इससे महिलाओं का विश्वास बढ़ा है।” वो आगे बताती हैं, “कई मामले ऐसे होते हैं जो लड़कियां अपने घर में किसी के साथ साझा नहीं करती हैं वो सीधे 181 या आशा ज्योति केंद्र पर आकर बताती हैं, किसी को खबर हुए बगैर हम उस मामले को सुलझा देतें हैं, इनकी गोपनीयता रखने की वजह से हमारे इनके बीच एक अच्छा रिश्ता बन जाता है।”