जल संरक्षण को बढ़ावा दे रहा आईपीएस, एक दिन में बनवाया 401 वर्षाजल संरक्षण ट्रेंच
गांव-गांव जाकर और जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को वर्षा जल संरक्षण का दे रहे हैं संदेश
लखनऊ। प्रदेश सरकार के जल संरक्षण सलाहकार व प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (विशेष जांच) जल गुरु महेंद्र मोदी जल संरक्षण की अलख जगा रहे हैं। गांव-गांव भ्रमण कर और गोष्ठियों के माध्यम से लोगों को वर्षा जल संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। जलगुरु ने बांदा जिले के 471 ग्राम समूहों में एक ही दिन में 401 जलसंरक्षण रीचार्ज ट्रेन्च तैयार करने का रिकॉर्ड बनाया है।
महेंद्र मोदी ने बताया, " दिसंबर 2018 में बांदा जिले के आठों विकासखण्ड कमासिन, बबेरू, बड़ोखरखुर्द, जसपुरा, महुआ, बिसण्डा, नरैनी व तिन्दवारी के 471 ग्राम पंचायत, विद्यालय व राजीव गांधी डीएवी डिग्री कॉलेज तथा पुलिस लाइन में 401 वर्षाजल संरक्षण ट्रेन्च का निर्माण करवाया गया। इनमें से 115 ट्रेन्च ग्रामवासियों तथा छात्रों के श्रमदान से तथा 286 ट्रेन्च मनरेगा योजना के अन्तर्गत बनाए गए।"
उन्होंने आगे बताया, " हमारा उद्देश्य है प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक जल संरक्षण सोख्ता तालाब (ट्रेंच) बनाकर उसी मॉडल पर सभी तरह के हैण्डपम्प, कुआं, बोरवेल, ट्यूबवेल, सबमर्सिबल पम्पसेट के पास भविष्य में श्रमदान से ट्रेन्च बनवाना। क्योंकि श्रमदान से रीचार्जिंग की व्यवस्था बहुत तेजी से हो सकती है। यह संदेश गांव-गांव पहुंचाना है।"
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वर्षा जल संचयन, वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। वर्षा जल संचयन का एक बहुत प्रचलित माध्यम है ट्रेंच। इसके तहत छोटी-छोटी नालियां बनाकर वर्षा जल रीचार्ज किया जाता है।
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महेंद्र मोदी ने आगे बताया, " बांदा जिले में 33500 सरकारी हैण्डपंप और कुआं हैं। इसके अतिरिक्त प्राइवेट व व्यक्तिगत हैण्डपम्प व कुआ हैं। यदि इन सब को जोड़ा जाए तो अधिकतम 40000 हैण्डपम्प, कुआँ, ट्यूबवेल, बोरवेल, सबमर्सिबल पम्पसेट जिलें में मिलेंगे। यदि एक परिवार से एक व्यक्ति 50 मिनट के लिए श्रमदान करता है और एक ट्रेन्च के लिए 10 परिवारों से कुल 10 व्यक्ति एक ट्रेन्च की खुदाई करते हैं तो अधिकतम 2 घंटे के अन्दर सभी 40000 लघु सिंचाई माध्यमों के पास ट्रेन्च बन सकते हैं। यदि बारिश के बाद मिट्टी ढीली होने पर यह कार्य किया जाता है तो यह समय पर्याप्त है। यदि सूखी मिट्टी में यही कार्य किया जाता है तब भी अधिकतम 4 घंटे में एक ट्रेन्च तैयार हो जाएगा।"
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ट्रेंच बनाने की तकनीक और सावधानी
- छोटी छोटी नालियां बनाकर ट्रेंच से जोड़ा जाता है, ट्रेंच की गहराई आबादी के क्षेत्र में 1 फुट से 2 फ़ीट तक तथा खेतों में 5 फ़ीट तक होती है
- छोटे बच्चों के स्कूलों में ट्रेंच की गहराई 1 फुट ही रखनी चाहिए और सीमेंट का प्रयोग नहीं करना चाहिए
- ट्रेन्च बनाने के लिए पहले खेत के ऊपर की कम से कम पांच इंच तथा अधिक से अधिक आठ इंच
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- मिट्टी निकाल कर खेत के कोनों में इक्ट्ठा कर लें
- खेत में कच्चे नाले को ट्रेंच से इस तरह जोड़ा जाए कि बरसाती पानी आसानी से उसमें गिर सके, लेकिन ध्यान रहे वही पानी ट्रेन्च में जाए जो खेत में फसलों की सिंचाई के बाद बच जाए
- बारिश समाप्त होने के बाद कच्चे नाले बरसात के पानी के साथ खेत की उपजाऊ मिट्टी व खाद का अंश भी ट्रेंच में गिरता है। इसलिए उपजाऊ मिट्टी को मानसून के बाद खेत में डाल देना चाहिए
- ट्रेन्च की गहराई यदि दो मीटर है तो सुरक्षा के लिए उसके ऊपर लकड़ी की जाली और
फिर उसके ऊपर टिनशेड या ढक्कन डाल दिया जाए
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