क्यों दादी- नानी से लेकर डॉक्टर तक कहते हैं पिलाओ मां का दूध

Update: 2017-06-04 17:07 GMT
फोटो: साभार इंटरनेट

लखनऊ। नवजात शिशुओं को जन्म के छह महीने तक सिर्फ माँ का दूध मिलने से उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। ये कहना है गोरखपुर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ के.एन. द्विवेदी का। डॉ द्विवेदी बताते हैं, "निमोनिया से ही नहीं बल्कि बहुत सारी बीमारियों से बचाने के लिए स्तनपान जरूरी है। स्तनपान से बच्चों की 'इम्यूनिटी' (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ती है और बीमारियों की संभावना कम हो जाती है।

Full View

गोण्डा जिले के मनकापुर ब्लॉक के कुदरखा गाँव की राजकुमारी देवी 28 बताती हैं, "मैने अपने बच्चे को छह माह तक सिर्फ अपना दूध ही पिलाया था मेरी सास और डॉक्टर ने मुझे यही कहा था और मेरा बच्चा बिल्कुल तंदरुस्त है। "

मनकापुर ब्लॉक की सीएचसी पर कार्यरत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ कमला देवी बताती हैं, "स्तनपान के बारे में जागरूकता पहले से बढ़ी है, जो महिलाएं पहली बार माँ बनती हैं वे स्तनपान करने का सही तरीका जानना चाहती हैं। इस पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर भी स्तनपान को काफी बढ़ावा देते हैं।"

तेजी से बढ़ रहा बोतल से दूध पिलाने का प्रचलन

समाज में जागरूकता होने के बावजूद भी अनेक समुदाय ऐसे हैं जहां स्तनपान के हितों के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं पहुंची है। समाज में कई तरह की भ्रांतियां और रीति-रिवाज़ हैं जो बच्चे को स्तनपान से वंचित कर देते हैं। डॉ द्विवेदी का कहना है कि स्तनपान न कराने का सबसे बड़ा कारण है अज्ञानता। कुछ परिवारों को नवजात शिशु को स्तनपान कराने के फायदों के बारे में पता ही नहीं है। अधिकतर लोग रुढ़िवादी हो कर और समझ न होने की वजह से शिशु को जन्म के कुछ समय तक स्तनपान से वंचित रखते हैं।"

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षो में गंभीर कुपोषण में कमी आई है, लेकिन पांच साल से कम उम्र के 15.6 करोड़ बच्चे अब भी कुपोषित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर या गरीब सभी देशों में स्तनपान बच्चों के लिए पोषण का सबसे बढ़िया माध्यम है, फिर भी कुछ ही बच्चों को इसका लाभ मिल पाता है।

ये भी पढें: स्तनपान को लेकर जागरूक हो रही ग्रामीण महिलाएं

स्तनपान पर केंद्रित हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को छह महीने की आयु से ठोस, अर्ध ठोस और नरम आहार दिया जाना चाहिए, लेकिन कई बच्चों को बहुत जल्दी या देर से इन आहारों को दिया गया जिससे उनके विकास और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। रिपोर्ट में दो साल तक या उससे ज्यादा उम्र तक बच्चों को पूरक आहार के तौर पर स्तनपान कराने पर भी जोर दिया गया।

ये भी पढ़ें: अब माताओं को स्तनपान कराने के लिये रेलवे देगा आँचल कक्ष

जो माताएं बोतल से दूध पिलाती हैं वो ठीक नहीं है। डॉ द्विवेदी बताते हैं, "बोतल से दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि उससे संक्रमण होने का खतरा होता है, बोतल से दूध पीने से बच्चे के सांस की नली में दूध जा सकता है। बोतल का दूध पीने वाले बच्चे में सामान्य स्तनपान करने वाले बच्चे से चार से पांच गुना अधिक 'ऐसपिरेशनल निमोनिया' होने का खतरा होता है।"

मां का दूध नवजात के लिए टीके जैसा प्रभावी

मां का दूध नवजात की प्रतिरोधी क्षमता में उसी तरीके से बढ़ोतरी करती है जिस प्रकार क्षय रोग (टीबी) जैसे रोगों के खिलाफ टीकाकरण काम करता है। एक नए शोध से यह जानकारी मिली है।

अमेरिका के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के रिवरसाइड स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता अमीए वॉकर का कहना है, "कुछ टीके नवजात को लगाने के लिए सुरक्षित नहीं होते और कुछ उतने सही तरीके से असरदार भी नहीं होते हैं। इसकी बजाए अगर हम मां का गर्भावस्था से ठीक पहले टीकाकरण करें या टीकाकरण को प्रभावी बनाएं तो स्तनपान के दौरान प्रतिरक्षी कोशिकाएं बच्चे के शरीर में पहुंच कर उसे बीमारियों से शुरू में ही ज्यादा सुरक्षित बनाती हैं।"

माँ का नहीं बल्कि डिब्बाबन्द दूध पीते हैं UP के ज़्यादातर बच्चे

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Similar News