इस दिवाली बच्चों ने पटाखों से बनाई दूरी, पटाखे न जलाने के लिए लोगों को कर रहें जागरूक
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। '' पापा, इस बार दीपावली पर पटाखे मत लाना, धुआं होता है, जो हमको नुकसान करता है। पैसे भी बेकार जाते हैं, इसलिए पटाखों के पैसे बचाकर हम लोगों के लिए कुछ और ले आना।'' दीपावली पर जब बच्चे ही सबसे ज्यादा पटाखे जलाने की जिद करते हैं, ऐसे में यह सीख अपने पिता को कक्षा दो में पढ़ने वाली अनिष्का (आठ वर्ष) ने दी।
पटाखों से होने वाले नुकसान और प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में बच्चों को पटाखे न जलाने की सलाह दी गयी है। यह सीख देने वालों में केवल प्राइवेट स्कूलों के ही नहीं बल्कि सरकारी स्कूल भी शामिल हैं। इतना ही नहीं बच्चों को यह भी सलाह दी गयी है कि वह अपने घरों में बड़ों को भी ऐसा न करने के लिए प्रेरित करें,क्योंकि पटाखों की मांग बच्चों द्वारा ही सबसे ज्यादा की जाती है। ऐसे में बच्चे यदि अपने बड़ों को पटाखे न चलाने के लिए समझायेंगे तो वह जल्दी समझेगें।
मेरिटोरियस पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या रेनू सक्सेना कहती हैं,'' बच्चों को पटाखे जलाना अच्छा लगता है, उन्हीं के बहाने बड़े ज्यादा पटाखे जलाते हैं। अगर बच्चों को पटाखों से होने वाले नुकसान के बारे में समझा दिया जाए, तो वह ज्यादा अच्छे से समझेगें और अपने घरवालों को भी ज्यादा अच्छे से समझा सकेंगे।''
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दीपावली के अवसर पर पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने एक नवंबर तक के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा दीपावली के बाद इस बात की भी जांच की जाएगी कि पटाखों पर रोक के बाद हवा की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है या नहीं।
कक्षा सात में पढ़ने वाली 13 वर्ष की शगुन गुप्ता ने कहा मैं दीपावली पर मिठाई खाऊंगी, घर सजाऊंगी, अच्छे कपड़े पहनूंगी और घूमने भी जाऊंगी लेकिन पटाखे नहीं छुड़ाऊंगी। मैम ने स्कूल में बताया था कि पटाखों से बहुत नुकसान होता है, बीमारी होती है और पैसे भी बर्बाद होते हैं इसलिए मैंने मम्मी से कहा है कि पटाखे नहीं लाना।
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कालीचरण इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य डॉ. महेन्द्र नाथ राय ने बच्चों को दीवाली पर पटाखे न चलाने की अपील करते हुए कहा कि बच्चे पटाखे न जलाएं क्योंकि इससे प्रदूषण तो फैलता ही है पैसों भी बेकार जाते हैं। अगर इसी पैसे से जरूरत की अन्य चीज खरीदी जा सकती है या जरूरतमंद की मदद की जा सकती है इसलिए इस पैसों को बचाकर रखें।
भारतीय विष अनुसंधान केन्द्र की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि दीपावली पर होने वाला प्रदूषण वर्ष 2015 की अपेक्षा वर्ष 2016 यानि मात्र एक वर्ष में 152 प्रतिशत बढ़ गया था।