तहसीलों में इंटरनेट पस्त : ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए ऑफ़लाइन चक्कर

Update: 2017-11-12 14:41 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ। भू-माफियाओं पर शिकंजा कसने और ग्रामीणों को सुविधा देने के लिए शुरू की गई ऑनलाइन रजिस्ट्री की प्रक्रिया ने और मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तहसीलों में खराब इंटरनेट सुविधा और कर्मचारियों की उचित ट्रेनिंग न होने से ग्रामीणों को काफी चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

कई किलोमीटर दूर से रजिस्ट्री के लिए जाने वाले किसानों को काफी लंबी लाइन में लगने के साथ ही सर्वर डाउन बताकर लौटाया जा रहा है। मौजूदा समय में प्रदेश के नौ मंडलों के 34 जिलों में ऑनलाइन रजिस्ट्री करने की प्रक्रिया शुरु की गई है। बाराबंकी जिले के सलेमाबाद गाँव से फतेहपुर तहसील में ज़मीन की रजिस्ट्री करवाने गए के विजय बहादुर सिंह (45 वर्ष) ने बताते हैं, ‘’मैं तहसील में ज़मीन की रजिस्ट्री करवाने पहुंचा, लेकिन ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए इतनी लंबी लाइन थी और सर्वर भी ठीक नहीं था, इसलिए हमारा काम नहीं हो पाया।’’

उत्तर प्रदेश में ज़मीन को ऑनलाइन माध्यम से बेचने व खरीदने के लिए के वर्ष 2015 में साफ्टवेयर ‘प्रेरणा-तीन’ (प्रॉपर्टी इवैल्युवेशन एंड रजिस्ट्रेशन) शुरू किया गया था। लेकिन जिन तहसीलों में इसे शुरू किया गया था, वहां इंटरनेट की सुविधा न होने और कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण न देने से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रेरणा-3 साफ्टवेयर की मदद से ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए मौजूदा समय में मेरठ, आगरा, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, देवीपाटन और फैज़ाबाद मंडल जोड़े गए हैं। प्रयोग के तौर अभी यह सुविधा लखनऊ, बाराबंकी की कुछ तहसीलों में उपलब्ध है।

इस बारे में उप महानिरीक्षक निबंधन, एआईजी गाज़ियाबाद अरविंद सिंह चंदेल बताते हैं, ‘’सॉफ्टवेयर के संचालन में अभी ग्रामीण क्षेत्रों में दिक्कतें आ रही हैं। इंटरनेट की कोई ली़ज लाइन सुविधा न होने के कारण वायरलेस इंटरनेट डिवाइस (डोंगल) से काम चलाया जा रहा है,” आगे कहते हैं, “पूरी तैयारी के साथ ही सॉफ्टवेयर से तहसीलों में ऑनलाइन रजिस्ट्री शुरू की जानी चाहिए थीं।”

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वाराणसी जिले की सभी तहसीलों को ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए इस सुविधा से जोड़ा जा चुका है, लेकिन सॉफ्टवेयर पर काम करने के लिए अभी बहुत कम लोगों को ही ट्रेनिंग दी गई है।

“तीन अक्टूबर, 2017 से यह सुविधा वाराणसी मंडल में शुरू की गई है। इसकी शुरूआत से पहले हम लोगों को लखनऊ बुलाकर ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद अब हम लोग मंडल के बाकी संबंधित अधिकारियों को इस सॉफ्टवेयर पर काम करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं,” वाराणसी मंडल के सब रजिस्ट्रार धर्मेंद्र तिवारी ने बताया।

इस सॉफ्टवेयर के बारे में कम्प्यूटर इंजीनियर शैलेश मिश्र कहते हैं, ‘’इस सुविधा के पीछे उद्देश्य सही है, पर योजना शुरू करने से पहले अच्छी तैयारी करनी चाहिए थी। तहसील के वकीलों, आसपास के साइबर कैफे और तहसील के अधिकारियों को सॉफ्टवेयर चलाने की जानकारी दी गई होती, सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग होनी चाहिए थी,’’ आगे बताते हैं, “इस बदलाव की जानकारी देने की सुविधा हो, इसके लिए तहसील की दीवारों पर ही लिखवाया जा सकता है। साथ ही रजिस्ट्री करने वाले कर्मचारियों के बोझ को भी कम किया जाए।”

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प्रेरणा-3 सॉफ्टवेयर में भी खामियां

ऑनलाइन रजिस्ट्री में आ रही दिक्कतों के बारे में प्रेरणा-तीन सुविधा के मुख्य परियोजना अधिकारी , बरेली अमरीश त्रिपाठी ने बताया, ‘’दो कारणों से इस सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। पहला-तहसीलों में खराब इंटरनेट कनेक्शन और दूसरा इसके सॉक्टवेयर में खामियां। बेहतर इंटरनेट कनेक्टीविटी के लिए इंटरनेट की ली़ज लाइन खरीदने के लिए उप महा निरीक्षक निबंधन (एआईजी) को अतिरिक्त बजट भेज रहे हैं।’’

फतेहपुर तहसील में जमीन की रजिस्ट्री के लिए पहुंचे कम्प्यूटर इंजीनियर शैलेश मिश्र साफ्टवेयर की गड़बड़ी के बारे में बताते हैं, “ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए सॉफ्टवेयर प्लॉट संख्या मांगता है, जिसके बाद उसकी मालियत निकाली जाती है, लेकिन इस सॉफ्टवेयर में अगर आप एक साथ तीन प्लॉट संख्या डालते हैं, तो सॉफ्टवेयर एक प्लॉट की ही मालियत निकालता है, बाकी दो प्लॉटों का विवरण नहीं देता, जबकि होना यह चाहिए कि तीनों को जोड़कर एकसाथ सभी की मालियत दी जाए।’’

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